नई दिल्ली- पिछले कुछ दिनों से फिर से गिलोय/गुडूची के इस्तेमाल से लीवर के खराब होने की भ्रामक खबरों का खंडन करते हुए आयुष मंत्रालय ने इसे पूरी तरह सुरक्षित बताया है। आयुष मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि गिलोय/गुडूची (टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया) पूरी तरह से सुरक्षित है और उपलब्ध तथ्यों के अनुसार यह हानिकारक (टॉक्सिक) नहीं है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि गिलोय को आयुर्वेद में सबसे अच्छी कायाकल्प जड़ी बूटी कहा गया है। गिलोय के रिसर्च से पता चलता है कि इसके इस्तेमाल से कोई नुकसान नहीं होता है। हालांकि, किसी दवा का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि इसका उपयोग कैसे किया जा रहा है। इसमें किसी भी दवा की खुराक की मात्रा सबसे जरूरी होती है जो उस दवा की सुरक्षा को निर्धारित करती है। रिसर्च में सामने आया कि गिलोय पाउडर की निश्चित मात्रा से फ्रूट फ्लाई (ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर) की लाइफ बढ़ी जबकि ज्यादा मात्रा ने फ्रूट फ्लाई की लाइफ को कम कर दिया। यह ये दर्शाता है कि किसी भी दवा व औषधि का लाभ लेने के लिये एक निश्चित खुराक को बनाये रखना बहुत जरूरी है। रिसर्च में यह निष्कर्ष निकला कि औषधि का लाभ लेने के लिए एक अच्छे डॉक्टर की सलाह पर निर्धारित खुराक लेनी चाहिए। आयुर्वेद में गिलोय किसी खजाने से कम नहीं है क्योंकि इसके इस्तेमाल से कई रोगों से छुटकारा मिलता है। कैंसर को मात देने में भी होता है गिलोय का इस्तेमालगिलोय का यूज एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक गिलोय का यूज एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक, एंटी-हाइपरलिपिडेमिक, हेपेटोप्रोटेक्टिव, कार्डियोवस्कुलर प्रोटेक्टिव, न्यूरोप्रोटेक्टिव, ऑस्टियोप्रोटेक्टिव, रेडियोप्रोटेक्टिव, एंटी-चिंता, एडाप्टोजेनिक, एनाल्जेसिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-पायरेटिक के रूप में किया जाता है। वहीं इसका इस्तेमाल डायरिया, अल्सर और कैंसर को मात देने के लिए किया जाता है। साथ ही पाचन संबंधी समस्या और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर भी इसका यूज किया जाता है। इतना ही नहीं कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी को मात देने के लिए भी इसका उपयोग किया जा रहा है। इसकी इन सभी खूबियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि ये पूरी तरह से सुरक्षित है और यह हानिकारक (टॉक्सिक) नहीं है।