और यदि आप ऐसे स्‍टूडेंट थे जो विदेश में पढ़ाई करने के इच्‍छुक थे या फिर किसी स्‍टूडेंट के माता-पिता जो अपने बच्‍चे को विदेश में पढ़ाना चाहते थे या हमारे जैसे सपने पूरे करने वाले- तो यह साल हम सभी के लिए और ज्‍यादा हलचल भरा था। पर कहते हैं ना कि अंत भला तो सब भला। तो बस 2021 का समापन भी हम ऐसे ही कर रहे हैं। लेकिन, थोड़ा इंतजार कीजिए, मैं आगे बढ़ रहा हूँ।
पिछले साल इसी समय, 2020 के अंत में, मैं बहुत आशावादी होने की कोशिश कर रहा था। कुछ महीने पहले, सितंबर में ऐडमिसन कैंसल हो गए थे और ज्‍यादातर स्‍टूडेंट्स जनवरी 2021 तक बढ़ाई गई ऐडमिसन की तारीख के लिए आगे बढ़ रहे थे। तो “जनवरी 21” की स्थितियां कुछ समय से बन रही थीं, जब तक कि चीजें अचानक से खराब नहीं होने लगीं। क्रिसमस के बाद अचानक उछाल आया। और जब तक विदेशों और भारत में सरकार का सहयोग मिला, तब तक परिस्थिति काफी डरावनी हो चली थी। लिवरेजएडु में, हमारे पास एक तिहाई उम्‍मीदवार ऐसे थे जिन्‍होंने ऐडमिसन टाल दिया था।
हालाँकि, यह समय धीरे-धीरे सुधरा। चीजें यहाँ से बदलनी शुरू हुईं। हमने अमेरिका में ज्‍यादा प्रगतिशील सरकार का स्‍वागत किया जो स्‍टूडेंट्स के आगमन और उन्‍हें अप्रवासी बनने के लिए चीजें आसान करना चाहती थी। यूके में इस साल ऐडमिसन में 3 गुना बढ़ोतरी देखने को मिली और हमारे खुद के हजारों स्‍टूडेंट्स थे जो पढ़ाई के बाद नौकरी के वीजा से लाभ पाने के लिए वहाँ गए। और साल खत्‍म होने से पहले, महज कुछ सप्‍ताह पहले, ऑस्‍ट्रेलिया ने भी आखिरकार दो सालों के बाद अपनी सीमाएँ खोल दी हैं। प्रतिस्‍पर्धी पीएसडब्‍लू, और यूके एवं कनाडा में सितंबर एवं अक्‍टूबर की तुलना में जून में हुए ऐडमिसन के साथ, ऑस्‍ट्रेलिया अब वापस स्‍टूडेंट्स का भरोसा जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है क्‍योंकि ये स्‍टूडेंट्स उनकी जीडीपी को आगे बढ़ने में दूसरे सबसे बड़े अंशदाता हैं।
और हाँ, ये सभी तो हेडलाइंस हैं। आइए अब करीब से नजर डालते हैं कि हम दिसंबर 2021/जनवरी 2022 में आखिर कहाँ खड़े हैं –
नीति का अवलोकन
यह स्‍टूडेंट्स के लिए खुशियों की बरसात लेकर आई है। अब दुनिया उन लोगों के लिए खुल रही है जो भविष्‍य की ओर बढ़ना चाहते हैं और ग्‍लोबल सिटिजंस बनना चाहते हैं। ऐडमिशन का यह दौर सिर्फ कोविड के दौरान हुए लॉकडाउन की तुलना में ही शानदार ढंग से नहीं खुल रहा है बल्कि पिछले पूरे दशक की बात करें तो यह समय सबसे ज्‍यादा अच्‍छा और बदलावकारी है। देश के नेताओं ने उन उपायों को पहचाना और कार्यान्वित किया जिन्‍होंने बहुत कुछ बदलकर रख दिया है।
कनाडा 400,000 से अधिक नए स्‍थायी निवासियों के अपने 2021 के लक्ष्‍य को पूरा कर रहा है : कनाडा ने लगभग एक हफ्‍ते पहले घोषणा की कि इसने कैलेंडर वर्ष में 400,000 से अधिक नए स्‍थायी निवासियों के अपने 2021 के लक्ष्‍य को पूरा कर लिया है। इमिग्रेशन मिनिस्‍टर (आप्रवासी मंत्री) सीन फ्रेज़र ने बताया कि अधिकांश आवेदन अस्‍थायी कामगारों से मिले हैं जो देश से बाहर स्थित हैं। यह काफी सकारात्‍मक है क्‍योंकि यह 2020 की संख्‍या से बेहद आशाजनक सुधार दिखाता है। 2020 में 180,000 पीआर को अनुमति मिली थी। इसने “इमिग्रेशन डेस्टिनेशन” के तौर पर न सिर्फ कनाडा की स्थिति को सुदृढ़ किया बल्कि दूसरे उभरते ठिकानों को भी उनके धन के लिए एक गति प्रदान की।
अमेरिका (यूएसए) वीजा प्रक्रिया में अनिवार्य इंटरव्‍यू की छूट दे रहा है : एक और स्‍वागतयोग्‍य एवं आवश्‍यक कदम, यूएसए ने हाल ही में घोषणा की है कि पहले जो ‘अनिवार्य इंटरव्‍यू’ होता था वह अब वैकल्पिक आधार पर होगा, और कांसुलर ऑफिसर के इंटरव्‍यू का फैसला रहेगा। इस कदम से, जोकि अधिकांश गैर-अप्रवासी वीजा के लिए लागू होता था, लंबित बैकलॉग को देखते हुए स्‍टूडेंट्स के लिए एफऐंडएम टाइप वीजा को 31 दिसंबर 2022 तक मान्‍यता विस्‍तार मिल सकता है।

ऑस्‍ट्रेलिया विदेशी स्‍टूडेंट्स के लिए अपनी सीमाएँ खोल रहा है : हाल के समय की सबसे बड़ी खबर थी कि ऑस्‍ट्रेलिया ने विदेशी स्‍टूडेंट्स के लिए अपनी सीमाएँखोल दी हैं और इसने भारत के साथ ट्रैवेल बबल भी स्‍थापित किया है ताकि ‘भारतीय अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍टूडेंट्स” को अपने देश में लाया जा सके। क्‍या बात है!
एंग्‍लो-वर्ल्‍ड यानी यूके, ऑस्‍ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका ने अपनी बाँहें खोल दी हैं। हालाँकि जर्मनी, फ्रांस, यूएई आदि जैसे दूसरे उभरते देश भी इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर एवं पॉलिसी तैयार कर रहे हैं जिससे जल्‍द ही उन्‍हें भी इस सूची में शामिल कर लिया जाएगा। एक और चीज जो बदलेगी वह है इन स्‍टूडेंट्स का “आउटलुक”। पहले के दौर में, स्‍टूडेंट्स को “सबसे कम किलोमीटर की सलाह” पर भरोसा करना पड़ता था या फिर उन्‍हें जो सलाह सबसे आसानी से मिल जाती थी उस पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब वो इस काम के लिए इंटरनेट पर भरोसा कर सकते हैं। इस साल को ही देखें तो हमने अपने प्‍लेटफॉर्म LeverageEdu.com पर ऑर्गेनिक ट्रैफिक में काफी उछाल देखा और यह 300,000 प्रति माह से बढ़कर 7.5 मिलियन पर पहुँच गया, इसमें 25 गुणा की जबर्दस्‍त वृद्धि दर्ज की गई। यह एक आंकड़ा कल के स्‍टूडेंट के बारे में बहुत कुछ बयां करता है। और जब स्‍टूडेंट्स बदलते हैं तो क्‍या यूनिवर्सिटीज को भी इसका मौका नहीं मिलना चाहिए? 300 से अधिक यूनिवर्सिटीज ने हमारे यूनिकनेक्‍ट वर्चुअल फेयर्स में हिस्‍सा लिया, और इसमें 40 हजार से ज्‍यादा स्‍टूडेंट्स ने भागीदारी की। इन 300 में से 200 यूनिवर्सिटीज ने प्रीमियम फीचर्स एक्‍सेस करने के लिए हमें भुगतान किया जिससे उन्‍हें स्‍टूडेंट्स की क्‍वालिटी पर अधिक नियंत्रण करने में मदद मिली, जिन्‍हें वे विभिन्‍न प्रोग्राम्‍स में लाना चाहती थीं। यह प्रोग्राम्‍स स्‍टूडेंट्स को इन यूनिवर्सिटीज के कैंपस में दिए जाने वाले जॉब अवसरों के अनुरूप बनाए जाते हैं। यह वाकई एक वास्‍तविक बदलाव है।
और आखिर में जो यहीं खत्‍म नहीं होता, पूरी दुनिया की तरह हमारे इन ग्‍लोबल एक्‍स्‍प्‍लोरर्स यानी स्‍टूडेंट्स ने भी हेल्‍थकेयर को अपनी प्राथमिकताओं की सूची में सबसे ऊपर रखा है। विभिन्‍न देशों एवं उनकी सरकारों की स्‍वास्‍थ्‍य संकट को लेकर क्‍या प्रतिक्रिया है, इसे देखकर स्‍टूडेंट्स का भरोसा बनता है या बिगड़ता है। यूके में स्‍टूडेंट्स की संख्‍या घट रही है और अमेरिका को एक-तिहाई से अधिक का नुकसान हुआ है, ऐसा न सिर्फ नीतियों के कारण हुआ है बल्कि यह हेल्‍थकेयर से संबंधित रुख को भी परिलक्षित करता है। तो यूके और ऑस्‍ट्रेलिया जैसे देशों ने भरोसा पैदा करने के अपने उपायों में काफी रुचि दिखाई है, अमेरिका को भी 2022 की शुरुआत से पटरी पर लौटने के लिए संघर्ष करना होगा।
कुल मिलाकर, स्‍टूडेंट्स की जीत हो रही है, उन्‍हें सही यूनिवर्सिटी में, सही प्रोग्राम में और सबसे महत्‍वपूर्ण, “सही देश में” पढ़ाई करने का अवसर मिल रहा है । उन्‍हें उच्‍च शिक्षा का मूल्‍यांकन करने का भी निष्‍पक्ष मौका मिल रहा है जिससे वे इस सवाल का हल आसानी से पा सकते हैं कि “उस देश में पढ़ाई करने से उन्‍हें किस तरह की जॉब मिलेगी।”
अब विदेश में पढ़ने की यह परिणाम-प्रधान सूचना में असमानता को दूर करती नई दुनिया का अपने अतीत के साए से निकलकर काफी अलग दिखना अच्छा लगता है।

अक्षय चतुर्वेदी, फाउंडर एवं सीईओ, लिवरेज एडु