औरंगाबाद- जाने-माने गीतकार एवं किसान नामदेव धोंडो महनोर ने रविवार को याद किया कि किस तरह उनके बाग में उपजे शरीफे का नाम सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के नाम पर रख दिया गया और कई लोग इसे लताफल कहने लगे। पद्म श्री से सम्मानित नामदेव ने कहा कि शरीफा उनके पल्सखेडा गांव में उपजाया जाता है, जो अजंता पहाडय़िों की तलहटी में बसा है। वहां पशुओं के अक्सर नुकसान पहुंचाने के बावजूद इसकी उपज होती रही। उन्होंने कहा, यह शरीफा काफी मीठा है और भारत रत्न मंगेशकर की तरह सभी विषम परिस्थितियों में भी बरकरार रहा। अपने पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने (लता ने) अपने परिवार का ध्यान रखा, कड़ी मेहनत की और शिखर तक पहुंची। नामदेव ने कहा, उन्होंने मेरे लिखे गीत गाए लेकिन उनके नाम पर शरीफे का नाम रखने का यह कारण नहीं था। शरीफे का नाम उनके नाम पर इसलिए रखा गया कि तमाम विषम परिस्थितियों के बावजूद लता दी की आवाज की मिठास फल की तरह बनी रही। उन्होंने दावा किया कि 1990 के दशक से हर कोई इलाके में शरीफे को लताफल कहने लगा।