मुंबई- विवादास्पद हिंदू राष्ट्रवादी विनायक दामोदर सावरकर की अंतर-जातीय रात्रिभोज मंडली की सबसे कम उम्र की सदस्य रहने से लेकर उनके गीतों को स्वर देने तक, सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर इस स्वतंत्रता सेनानी के साथ करीबी रूप से जुड़ी हुई थीं। सावरकर:द ट्रू स्टोरी ऑफ फादर ऑफ हिंदुत्व के लेखक एवं पत्रकार वैभव पुरंदरे ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि अंडमान जेल से रिहा होने के बाद सावरकर रत्नागिरि में बस गए थे। इसके बाद उन्होंने निचली जातियों के परिवारों के बच्चों को स्थानीय स्कूलों में शिक्षा दिलाने का एक अभियान शुरू किया था। पुस्तक के अनुसार, महज पांच साल की उम्र में लता अपने पिता, गायक एवं मंच कलाकार दीनानाथ मंगेशकर के साथ इन अंतर-जातीय रात्रिभोजों में से एक में गई थीं। लेखक ने अपनी पुस्तक में लिखा है, इन रात्रिभोजों में शामिल होने वालों में एक उत्साही सदस्य गायिका और मंच कलाकार दीनानाथ मंगेशकर थे। पुरंदरे ने लिखा है कि सावरकर, खासतौर पर दीनानाथ की पत्नी शेवंती के बनाए शाकाहारी पुलाव का इंतजार किया करते थे, जो वह उनके लिए ले जाया जाता था। शेवंती को माई के नाम से भी जाना जाता था।उन्होंने लिखा है, ऐसी एक यात्रा पर दीनानाथ ने अपनी पांच साल की बच्ची लता को सावरकर के अंतरजातीय रात्रिभोजों में अपने साथ ले जाने का फैसला किया। पुरंदरे ने लिखा है कि माई बच्ची को उनके साथ भेजने के लिए अनिच्छुक थी। लता ने 2018 में लेखक को बताया था कि उनकी मां एक छोटी बच्ची को रात्रिभोज में भेजने को अनिच्छुक थी। बाद के समय में लता ने सावरकर के लिखे कुछ मराठी गीतों को अपना स्वर दिया। दूरदर्शन के क्षेत्रीय चैनल डीडी सह्याद्रि को दिए एक साक्षात्कार में लता ने सावरकर, जिन्हें तात्या के नाम से भी जाना जाता था, को परिवार के सदस्य जैसा बताया था। लता ने कहा, जब मेरे पिता किसी हरिजन टोले में जाते थे, तब मैं भी उनके साथ जाना चाहती थी। मां मुझे नहीं जाने को कहती थीं। बाबा ने कहा कि हरिजन टोले में तात्या ने एक अंतर-जातीय भोज आयोजित किया है। उस वक्त, भोजन को लेकर अंतरजातीय समागम होना एक बड़ी चीज थी। इस तरह मैं तात्या से मिली थी। लता का रविवार सुबह मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 92 वर्ष की थीं।