कर्नाटक – हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन औवेसी ने अब कर्नाटक में अपनी पार्टी को पूरे दमखम से विधानसभा चुनाव में उतारने का ऐलान कर दिया है। ओवैसी के इस कदम से कांग्रेस की धड़कने बढ़ गई हैं। कर्नाटक में ओवैसी की ‘पतंग’ के मांझे से काग्रेस को अपना ‘हाथ’ कटने का डर सताने लगा है। करीब दो महीने बाद होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी की मौजूदगी से सेकुलर वोटों के बंटवारे का खतरा बढ़ गया है। इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। बता दें कि ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पहली बार कर्नाटक में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। 2018 के विधानसभा चुनाव में उसने जेडीएस का समर्थन किया था। एआईएमआईएम की कर्नाटक इकाई के महासचिव लतीफखान अमीरखान पठान ने कर्नाटक में घनी दलित-मुस्लिम आबादी वाली करीब 20 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। लतीफ खान खुद बेलगावी उत्तर से पार्टी के उम्मीदवार भी हैं। उन्होंने कहा, हम उन निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की योजना बना रहे हैं। जहां मुसलमानों और दलितों के साझा वोट 35 फीसदी से अधिक है। हमने ऐसी करीब 20 विधानसभा सीटों की पहचान की है। यहां पर हम कम से कम 16 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।बता दें कि एआईएमआईएम ने विधानसभा चुनावों के लिए बेलगावी उत्तर, हुबली धारवाड़ पूर्व और विजयपुरा जिले में बसवाना बागेवाड़ी के लिए तीन उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है। बाकी सीटों पर उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया चल रही है। माना जा रहा है कि इन सीटों पर ओवैसी की पार्टी की मौजूदगी से कांग्रेस का खेल बिगड़ सकता है। कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला है। ऐसे में अगर ओवैसी की पार्टी कुछ सीटों पर दो-चार हजार वोट भी हासिल करती है तो इससे कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है। कांग्रेस के लिए चिंता की बात ये है कि ‘जय भीम, जय मीम’ नारे के सहारे राजनीति करने वाले ओवैसी मुसलमानों के साथ दलितों के को भी वोट झटक सकते हैं। उत्तरी कर्नाटक में स्थानीय निकायों में ओवेसी की पार्टी की अच्छी खासी पकड़ है। इसने विजयपुरा नगर निगम में दो सीटें जीती थीं। बेलगावी नगर निगम में एक और बीदर और बसवाना बागवाड़ी नगर निगमों में एक एक सीट पर जीती थी। हुबली-धारवाड़ नगर निगम में इसके तीन नगरसेवक हैं। ये सभी हुबली धारवाड़ पूर्व विधानसभा क्षेत्र से हैं। सितंबर 2021 में हुए चुनावों में इसने 12 वार्डों में चुनाव लड़कर तीन सीटे जीती थीं। जबकि कांग्रेस को चार वार्डों में बीजेपी से हार का सामना करना पड़ा था। हुबली-धारवाड़ पूर्व को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यहां से कांग्रेस के अभय्या प्रसाद साल 2013 और 2018 में लगातार दो बार जीते हैं। एआईएमआईएम के इस सीट पर चुनाव लड़ने के फैसले से कांग्रेस परेशान है। उत्तर कर्नाटक में विजयपुरा की नगाथाना और बेलगावी जिले में कुडची से भी वो चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। सभी सीटें आरक्षित हैं। कांग्रेस को इन सीटों पर ओवैसी की पार्टी उसे नुकसान पहुंचने का खतरा है। गौरतलब है कि 2021 में पश्चिम बंगाल और 2022 में उत्तर प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव में भी ओवैसी ने अपनी पार्टी को जोर शोर से चुनाव मैदान में उतारा था। तीनों ही राज्यों में उनकी पार्टी का खाता तक नहीं खुला था। 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 5 सीटें जीती थीं। ओवैसी पर आरोप है कि उनकी वजह से बिहार में राजद-कांग्रेस महागठबंधन की सरकार नहीं बन पाई थी। कांग्रेस को डर है कि कहीं ओवैसी की वजह से कर्नाटक में बिहार जैसी स्थित न हो जाए।