नई दिल्ली- कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रोन से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। दिल्ली में किसी भी व्यक्ति की ओमीक्रोन से अब तक मौत नहीं हुई है। विशेषज्ञों ने भी स्पष्ट किया है कि कोरोना का ओमीक्रोन वेरिएंट माइल्ड और कम घातक है। यह बात दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने गुरुवार को प्रेस को संबोधित करते हुए कही। जैन ने कहा कि दिल्ली में ओमीक्रोन से अब तक 457 मरीज संक्रमित हुए हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक किसी भी ओमीक्रोन संक्रमित मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट या वेंटिलेटर की आवश्यकता नहीं पड़ी है। उन्होंने दिल्ली के लोगों से यह आग्रह किया कि गंभीर लक्षण होने पर ही अस्पताल जाएं। दिल्ली के अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में बेड उपलब्ध हैं और घबराने वाली कोई बात नहीं है। सामान्य लक्षण होने पर अस्पताल आने की आवश्यकता नहीं है। इसका होम आइसोलेशन में इलाज संभव है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कोरोना पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि दिल्ली में कोरोना का ओमीक्रोन वेरिएंट बहुत तेजी से फैल रहा है, परंतु घबराने की जरूरत नहीं है। कोरोना के रोकथाम के लिए मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना ही बचाव का सबसे बेहतरीन उपाए है। स्वास्थ्य मंत्रालय की नई दिशानिर्देश के अनुसार कम या साधारण लक्षण वाले और एसिम्टोमेटिक मरीजों को डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है। एसिम्टोमेटिक मरीजों का घर पर ही होम आइसोलेशन में इलाज किया जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्री ने होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे मरीजों से आग्रह किया गया कि वे अपने घर में कोरोना से संबंधित नियमों का पालन करें, खुद को घर के अन्य सदस्यों से अलग रखें, क्रॉस-वेंटिलेशन वाले हवादार कमरों में रहें, ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क का प्रयोग करें। अपने आसपास स्वच्छता को बनाये रखें। इसके अलावा अपने खाने के बर्तन परिवार के किसी सदस्य को न दें।
पॉजिटिव आने पर न भागे अस्पताल, घर पर ही रहें
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि बड़ी संख्या में लोग पॉजिटिव आते ही अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिससे पैनिक बढ़ रहा है। उन्होंने दिल्ली की जनता से अपील करते हुए कहा कि पॉजिटिव आने पर अस्पताल जाने की आवश्यकता नहीं है। घर पर ही रहें। दिल्ली सरकार की टीम आपको फोन करेगी और होम आइसोलेशन में ही आपका इलाज चलेगा। अस्पताल सिर्फ उन लोगों को ही आने की जरुरत है, जिन में गंभीर लक्षण हो।
कैसे पहचाने, किस स्थिति में अस्पताल जाने की है जरुरत
1. सांस लेने में दिक्कत होना
2. 3 दिनों से अधिक लगातार 100 फारेनहाइट से ज्यादा बुखार आना
3. ऑक्सीजन लेवल में कमी होना, (एसपीओ 293 प्रतिशत से नीचे जाने या सांस लेने की दर 24/मिनट ज्यादा हो)
4. छाती में लगातार दर्द/दबाव होना
5. मानसिक भ्रम या उत्तेजना में असमर्थता होना
6. लगातार शरीर में गंभीर थकान महसूस होना