नई दिल्ली – आर्य समाज ने आज महान आर्य समाज संन्यासी, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक स्वामी श्रद्धानंद की 99वीं बलिदान दिवस को श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया। स्वामी श्रद्धानंद ने अपना संपूर्ण जीवन गरीबों, दलितों, अनाथों के कल्याण और सर्वसुलभ, मूल्य आधारित शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया था। स्वामी श्रद्धानंद को विशेष रूप से शुद्धि आंदोलन के लिए जाना जाता है, जिसकी शुरुआत उन्होंने वर्ष 1923 में की थी। इस आंदोलन का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक दबाव के कारण हिंदू समाज से अलग हुए लोगों—विशेषकर वंचित वर्गों को पुनः समाज की मुख्यधारा से जोड़ना और सामाजिक एकता व राष्ट्रीय चेतना को मजबूत करना था। इस अवसर पर एक भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया, जो प्रातः 10:00 बजे स्वामी श्रद्धानंद बलिदान भवन, नया बाजार से प्रारंभ हुई।और रामलीला मैदान में संपन्न हुई।शोभायात्रा का नेतृत्व ओम ध्वज धारण किए बालिकाओं ने किया। इसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु, समाज के लोग, युवा और विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।इस यात्रा को हर्ष मल्होत्रा, केंद्रीय राज्य मंत्री,कपिल खन्ना, अध्यक्ष, विश्व हिंदू परिषद दिल्ली, तथा प्रवीन खंडेलवाल, चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र से, द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विनय आर्य, महासचिव, दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा ने कहा,स्वामी श्रद्धानंद केवल राष्ट्रवादी और शिक्षाविद ही नहीं थे, बल्कि वे एक अग्रणी समाज सुधारक थे, जिन्होंने दलितों, अनाथों और गरीबों के लिए सम्मान, सुरक्षा और अवसर के वास्तविक और स्थायी आधार तैयार किए। उनके बलिदान की शताब्दी वर्ष में हमारा संकल्प है कि उनकी विरासत को केवल स्मरण समारोहों तक सीमित न रखकर शिक्षा, नीति संवाद और सामुदायिक कार्यों से जोड़ा जाए, ताकि समाज के सबसे कमजोर वर्ग सशक्त बन सकें।उन्होंने आगे कहा, “बांग्लादेश में हिंदू युवाओं की हत्या की घटनाओं से हम अत्यंत व्यथित हैं और वहां हिंदू समुदाय के विरुद्ध हुई हालिया हिंसा और निर्मम हत्याओं की कड़ी निंदा करते हैं। स्वामी श्रद्धानंद जी ने लगभग एक शताब्दी पूर्व ही ऐसी चिंताओं को व्यक्त किया था। यह घटनाएं मानवता, सहिष्णुता और सामाजिक सौहार्द के मूल मूल्यों के विरुद्ध हैं।सभा को संबोधित करते हुए, हर्ष मल्होत्रा, केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद का जीवन और उनके सिद्धांत आज भी समाज को दिशा देने वाले हैं। उन्होंने कहा कि हमें उनके मूल्यों से प्रेरणा लेकर उन्हें वर्तमान समय में व्यवहारिक रूप से लागू करना चाहिए।वर्ष 2026 में स्वामी श्रद्धानंद की बलिदान दिवस की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर, आर्य समाज ने आज औपचारिक रूप से वर्षभर चलने वाले राष्ट्रव्यापी अभियान का शुभारंभ किया। यह अभियान दलितों, अनाथों और मूल्य आधारित शिक्षा के लिए स्वामी श्रद्धानंद के अग्रणी योगदान पर केंद्रित रहेगा। इस अभियान के अंतर्गत स्मृति कार्यक्रम, विषय आधारित व्याख्यान, युवा सम्मेलन और विद्यालय स्तर के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें डीएवी संस्थान, आर्य समाज केंद्र और सहयोगी संगठन शामिल होंगे।स्वामी श्रद्धानंद ने गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना की, जो देश का पहला गुरुकुल था और आगे चलकर भारत के सबसे पुराने शिक्षण संस्थानों में से एक बना। इसके अतिरिक्त, स्वामी श्रद्धानंद ने दिल्ली का पहला अनाथालय भी स्थापित किया, जहां परिवारविहीन बच्चों को आश्रय, शिक्षा और संस्कार मिले।
