चंडीगढ़ – मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद 24,000 युवाओं को सरकारी नौकरियों के नियुक्ति पत्र सौंपकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। यह फैसला हरियाणा की युवा शक्ति को मजबूत करने और राज्य में पारदर्शी, भ्रष्टाचार-मुक्त रोजगार प्रक्रिया को सुनिश्चित करने वाला है। यह भाजपा सरकार की ‘बिना पर्ची, बिना खर्ची’ वादे के अनुरूप है। इतने बड़े पैमाने पर नौकरियों का वितरण राज्य के रोजगार इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।एक साथ इतनी बड़ी संख्या में नौकरियां देने का रिकॉर्ड अब तक रेलवे जैसे राष्ट्रीय स्तर के विभागों में ही देखा जाता था। परंतु हरियाणा जैसे छोटे राज्य में यह कदम वास्तव में अनोखा है। अगर राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश ने अपनी सबसे बड़ी भर्ती योजना में, 2018 में, 41,000 सिपाहियों को नौकरी दी थी लेकिन यूपी की 23 करोड़ आबादी के मुकाबले हरियाणा की आबादी केवल 2.89 करोड़ है। ऐसे में हरियाणा में एक दिन में 24,000 नौकरियों का दिया जाना एक असाधारण उपलब्धि है।पिछले कार्यकाल में भाजपा सरकार ने हरियाणा में 85,000 से अधिक नौकरियां दी थीं, जिनमें प्रमुख रूप से पुलिस, शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग की भर्तियां शामिल थीं। इस बार सरकार का लक्ष्य अगले तीन वर्षों में 1 लाख से अधिक सरकारी नौकरियां देने का है, जिसमें पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य प्रमुख विभागों में बड़ी संख्या में नौकरियां दी जाएंगी।मुख्यमंत्री सैनी का यह निर्णय न सिर्फ रोजगार सृजन की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि यह हरियाणा के आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा।

कांग्रेस का भर्ती रोको प्रकोष्ठ: सपनों पर ब्रेक, भाजपा की ‘बिना पर्ची, बिना खर्ची’ से राहत

हरियाणा में कांग्रेस पार्टी भले ही दशकों से संगठन का चेहरा खोज रही हो, लेकिन एक प्रकोष्ठ उसकी रीढ़ बना रहा है—’भर्ती रोको प्रकोष्ठ’। दीपेन्द्र हुड्डा की अगुवाई में यह विशेष ‘समिति’ दिन-रात इस कोशिश में लगी रहती है कि कैसे सरकारी नौकरियों पर ब्रेक लगाया जाए। हाल ही में, हुड्डा जी की प्रेरणा से जयराम रमेश चुनाव आयोग तक दौड़ गए—मिशन: भर्ती रुकवाओ। कांग्रेस की इतनी ‘कर्मठता’ अगर विकास में होती, तो शायद हालात कुछ और होते। आज जिन युवाओं के हाथ में नियुक्ति पत्र हैं, वे कांग्रेस की बदौलत अब तक दो महीने की सैलरी कमा चुके होते। लेकिन, कहते हैं न कि दीवाली से पहले ‘दरिद्रता’ को बाहर करने की परंपरा होती है। हरियाणा की जनता ने 8 अक्टूबर को ही इस ‘दरिद्रता’ का सफाया कर दिया। कांग्रेसियों को भर्तियां रुकवाने और विकास में अड़ंगा डालने में विशेष संतोष मिलता है। उन्हें लगता है कि जब तक युवा परेशान ना हों, तब तक राजनीति का मजा नहीं आता। लेकिन सत्य परेशान हो सकता है, पर पराजित नहीं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शपथ ग्रहण करते ही 24,000 युवाओं का रिजल्ट जारी कर दिया। कांग्रेसियों के ‘भर्ती रोको’ ड्रामे को धता बताते हुए भाजपा सरकार ने बता दिया कि भाजपा ‘विकास’ का दूसरा नाम है।
अब इन 24,000 युवाओं को चाहिए कि कांग्रेसियों को अपनी पहली सैलरी से जलेबी भिजवाएं। आखिर, जलेबी की बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां खोलने का सपना तो कांग्रेस ने ही दिखाया था। वैसे जलेबी से ज्यादा इन्हें शायद लॉलीपॉप पसंद आए, क्योंकि कांग्रेस का असली स्वाद तो यही है—वादे दिखाकर लॉलीपॉप पकड़ाओ!प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के समय साफ कहा था—हरियाणा को चाहिए ‘बिना पर्ची, बिना खर्ची’ वाली सरकार। और भाजपा ने इस वादे को निभाकर दिखाया। भाजपा सरकार का हर निर्णय ईमानदारी और पारदर्शिता से भरा हुआ है। भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं। और अगर कांग्रेस की बात करें, तो उसकी हर सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों की दलदल में फंसी रही है। राहुल गांधी तो खुद अग्रिम जमानत पर हैं। अब ऐसे ‘भविष्य के प्रधानमंत्री’ के भविष्य पर पहले से ही भ्रष्टाचार का ग्रहण लगा हुआ है! कांग्रेस के ‘भ्रष्टाचार पुराण’ की इतनी लंबी लिस्ट है कि उसके लिए एक अलग ‘खास संस्करण’ छापना पड़ेगा।दूसरी ओर, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को देखिए। जमीन से जुड़े इस नेता ने अपनी पहली ही पारी में 24,000 युवाओं का भविष्य सुनिश्चित किया। जिनके सपने कांग्रेसियों की नौटंकी में कहीं खोने वाले थे, भाजपा सरकार ने उन्हें साकार कर दिया। भाजपा की पहचान है—ईमानदारी, पारदर्शिता और जनता के लिए काम। और कांग्रेस की पहचान? भ्रष्टाचार, झूठे वादे और युवाओं के सपनों का अपहरण। जब तक कांग्रेस सत्ता में रही, उसने हरियाणा के युवाओं को हाशिए पर रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज, हरियाणा के युवाओं को कांग्रेस के नेताओं का आभार मानना चाहिए। आखिर, उन्होंने समझा दिया कि किस पार्टी को चुनने की गलती नहीं करनी चाहिए