नई दिल्ली – आम आदमी पार्टी लगातार है. इस विरोध को लेकर एक तरफ तो कई दलों ने आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया है जबकि कुछ दल ऐसे भी है जो इस मामले एनडीए के साथ नजर आ रहे हैं. इसी बीच आप सांसद राघव चड्ढा ने दिल्ली सेवा विधेयक पर केंद्र का साथ देने के चलते बीजू जनता दल यानी BJD और वाईएसआर कांग्रेस पर शायराना तंज कसा है. संसद के मानसून सत्र में दिल्ली सर्विसेज बिल को लेकर घमासान देखने को मिल रहा है. एक तरफ लोकसभा में इस बिल को मंगलवार को पेश किया गया था वहीं ये बिल राज्यसभा में पेश किया जा सकता है. हालांकि सुबह से ही लोकसभा में जोदरादर हंगामा देखने को मिला.यही नहीं इसको लेकर नेताओं की बयानबाजी भी जारी है. राघव चड्ढा ने दो दलों के एनडीए को समर्थन करने को लेकर तीखा हमला बोला. उन्होंने शायराना अंदाज में कहा- यूं ही नहीं कोई बेवफा होता है दिल करता है बहुत कुछ कहूं.क्या करूं हौसला नहीं होता.अपनी इस शायरी के जरिए उन्होंने बीजेपी औ वाईएसआर कांग्रेस को घेरा. राघव चड्ढा ने कहा कि केंद्र की ओर से लाया गया अध्यादेश राज्य की शक्तियों को छीनने वाला है. ऐसे में जो भी दल इस अध्यादेश को समर्थन दे रहे हैं उन्हें जनता देख रही है. हालांकि उन दलों की कुछ मजबूरियां (ED,CBI) रही होंगी, जिसके चलते उन्होंने ये फैसला लिया है. उन्होंने ये भी कहा कि इस तरह दलों ने जो किया है उसका फैसला और विश्लेषण भी जनता और मीडिया पर छोड़ देता हूं. लेकिन इतना जरूर कहना चाहूंगा कि अगर ये प्रयोग दिल्ली में कामयाब हुआ है तो इस खतरनाक कानून को राज्य सरकार की शक्तियां को ध्वस्त करने वाले इस कानून को सिर्फ दिल्ली में ही नहीं आने वाले वक्त में अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है.राघव चड्ढा ने अपने तंज को जारी रखते हुए एक और शायर राहत इंदौरी की कुछ पंक्तियां भी याद दिलाईं. इसमें उन्होंने कहा था, अगर खिलाफ है होने दो,जान थोड़ी है,यह सब धुंआ है ,आसमान थोड़ी है,लगेगी आग तो आएंगे कई घर जद में ,यहां पर हमारा कोई अकेला मकान थोड़ी है. इन पंक्तियों के जरिए भी राघव चड्ढा ने तंज कसते हुए कहा कि आज दिल्ली को लेकर अध्यादेश लाकर अगर इसे पास कराया जाता है तो आने वाले दिनों में ऐसा अध्यादेश गैरभाजपाई राज्यों में लाया जाएगा.उन्होंने कहा कि, ओडिशा  की बीजेडी और आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस की सरकार है. इन दोनों ने विवादास्पद विधेयक को अपना समर्थन देने का फैसला किया है. इसका उद्देश्य केंद्र को दिल्ली में नौकरशाही पर नियंत्रण बनाए रखने की अनुमति देना है.