नई दिल्ली- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग केन्द्र सरकार की तरफ से अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति योजना को बंद करने पर नाराज़ हैं। आयोग चाहता है कि यह योजना पहले की तरह फिर से शुरू की जाएं। आयोग ने इस मसले पर एक कमेटी गठित करने का फैसला किया है। आयोग के उपाध्यक्ष केरसी के. देबू की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में हर अल्पसंख्यक समुदाय के एक एक प्रतिनिधि को रखा गया है। यह कमेटी छात्रवृत्ति योजना के बंद होने के बाद के हालात का जायजा लेगी और जो रिपोर्ट देगी उसे केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा। आयोग के अध्यक्ष सरदार इकबाल सिंह लालपुरा ने बताया कि उसे प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति कक्षा I से VIII और पीएचडी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की वापसी के खिलाफ अल्पसंख्यक समुदायों से कई याचिकाएं प्राप्त हुई है। उसी के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए आयोग ने आज देश भर के शिक्षाविदों और सामुदायिक नेताओं के साथ आयोग मुख्यालय में बैठक की है। बैठक के दौरान सभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोग के उपाध्यक्ष और सदस्य भी उपस्थित थे। इनमें से ज्यादातर राय थी कि आयोग की केंद्र सरकार की बंद की गई छात्रवृत्ति योजनाओं को दोबारा शुरू करने की मांग करे। लालपुरा ने बताया कि भारत सरकार के जरिए लिए गए फैसले का इरादा अल्पसंख्यकों के लाभों को छीनना नहीं है। योजनाओं के दोहराव के मुद्दे को हल करने के लिए विचाराधीन छात्रवृत्ति वापस ली गई है। हालाँकि, इस संबंध में अल्पसंख्यक समुदायों की आशंकाएँ हैं जिन्हें दूर किया जाना है। इस उद्देश्य के लिए यह अनुशंसा की जाती है कि अल्पसंख्यकों में शिक्षा के प्रचार के मामले की जांच करने के लिए एनसीएम के उपाध्यक्ष केरसी के. देबू की अध्यक्षता में प्रत्येक समुदाय के एक प्रतिनिधि के साथ छह सदस्यीय कमेटी गठित की जाए। यह कमेटी उत्पन्न हालात का जायजा ले और जो सिफारिश करे उसे केन्द्र सरकार के पास भेजा जाए।