जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन संभव नहीं है, क्योंकि हमारी रोजमर्रा की जरूरतों को बिना जल के पूरा नहीं किया जा सकता। कृषि की तो बिना जल के कल्पना ही नहीं की जा सकती। पर इसके साथ ही यह भी सच है कि पूरी दुनिया इस समय जल संकट से जूझ रही है, करोड़ों लोगों को शुद्ध पीने का पानी नहीं मिल रहा है। जलाशय, कुएं, पोखर सूख गए हैं। गांवों में तो लोगों को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। खेती ना होने से अनेक किसानों को गांवों से पलायन करना पड़ रहा है। वे शहरों में मजदूरी करने पर मजबूर हो रहे हैं।राजस्थान को तो वर्षों से जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। यहां के हजारों गांव जल संकट से जूझ रहे हैं। पीने का पानी तक काफी दूर से लाना पड़ता है। ऐसे में कुछ उत्साही एनआरआई युवकों ने जल संकट को दूर करने के लिए बीड़ा उठाया। इसके लिए उन्होंने एक ऐसी योजना बनाई, जिससे जल संकट को दूर करने में काफी राहत मिली।इस योजना का नाम है ‘प्रोजेक्ट ओएसिस’। प्रोजेक्ट ओएसिस “आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था” की एक पहल है। राजस्थान के जलसंकट से जूझने में ‘प्रोजेक्ट ओएसिस’ रामबाण सिद्ध हुआ है। इसके जरिए कई गांवों में जल संचयन के माध्यम से जल समस्या का समाधान किया जा रहा है। ‘प्रोजेक्ट ओएसिस’ सूखाग्रस्त गांवों में एक नई आशा की किरण के रूप में उभरा है। इस प्रोजेक्ट से गांवों को एक नया जीवन मिल रहा है।’प्रोजेक्ट ओएसिस’ को शुरू करने का श्रेय चार एनआरआई को जाता है। ये हैं शरद अग्रवाल, दिनेश माहेश्‍वरी, दीपा माहेश्‍वरी और नवीन गुप्ता। इन्होंने गुरुदेव श्री श्री रविशंकर की प्रेरणा से राजस्थान के जलसंकट को दूर करने का संकल्प लिया है। दान उत्पन्न करने के लिए दीपा माहेश्‍वरी ने संयुक्त राज्य अमेरिका में एक डांडिया कार्यक्रम भी आयोजित किया।इस परियोजना के तहत ‘प्रोजेक्ट ओएसिस’ 44 चेक डैम का निर्माण कर चुके हैं। इससे 1,05,000 ग्रामीण और किसान पहले ही लाभान्वित हो चुके हैं। ‘प्रोजेक्ट ओएसिस’ के दिनेश माहेश्‍वरी का कहना है कि इस पहल से गांवों को नया जीवन मिल रहा है, साथ ही 26,000 से अधिक प्रवासी मजदूरों को भी अपने गांव जाने का मौका मिला है। ये मजदूर वास्तव में किसान थे जो जल की कमी के कारण अपने गांवों में खेती नहीं कर पा रहे थे। ‘प्रोजेक्ट ओएसिस’ ने उनके लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। इस प्रोजेक्ट में जल संचयन को काफी महत्व दिया जा रहा है। जल संचयन द्वारा खेतों में बुवाई करने में कोई दिक्कत नहीं आती, क्योंकि इसमें भरपूर जल मिल जाता है।इससे पानी की समस्या से भी निपटा जा रहा है। साथ ही गांव के लोगों में एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। जल संचयन के जरिए भूजल का स्तर भी बढ़ रहा है।
1. 3.2 अरब लोग कृषि क्षेत्रों में रहते हैं जहां पानी की कमी या अत्यधिक कमी है, जिनमें से 1.2 अरब लोग – लगभग दुनिया की जनसंख्या का एक-छठाई भाग – गंभीर रूप से पानी सीमित कृषि क्षेत्रों में रहते हैं। (एफएओ, 2020)
2. सभी पानी निकासों का 72% कृषि द्वारा उपयोग किया जाता है, 16% नगरपालिकाओं द्वारा घरेलू उपयोग और सेवाओं के लिए, और 12% उद्योगों द्वारा। (संयुक्त-जल, 2021)
3. राजस्थान भी उन राज्यों में से एक है जिनकी जलवायु संवेदनशीलता सबसे अधिक है और अधिकतम अनुकूलन क्षमता है। राज्य के पास भारत के कुल सतह जल संसाधन का केवल 1.16% है, या 21.71 बिलियन क्यूबिक मीटर ।
4. राजस्थान देश का सबसे अधिक जल-अभावी राज्य है, जो अस्थायी मॉनसून के छोटे अवधि और असमान कृत्रिम व्यवहार और अल्पकालिक वर्षा के साथ चल रहा है। 32 जिले (41000 गांव) को अब तक सूखा प्रभावित घोषित किया गया है, जिसका लोगों की न्यूनतम जीवन आवश्यकताओं पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, जिसमें सुरक्षित पीने का पानी और पर्याप्त पोषण शामिल है।
5. जयपुर वर्तमान में बढ़ती जल संकट और घटते पीने के स्रोतों का अनुभव कर रहा है। जयपुर पूरी तरह से अंडरग्राउंड और एकल सतही जल स्रोत, बीसलपुर बांध पर निर्भर करता है, जो जयपुर से 120 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है और जो अजमेर और टोंक जिले के गांवों के साथ साझा किया जाता है।