नई दिल्ली-भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने दिल्ली के 40 गांवों के नाम बदलने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक पत्र भेजा और उम्मीद जताई है कि इस प्रस्ताव पर वे गंभीरता से विचार करेंगे। आदेश गुप्ता ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि देश के अंदर सरहद पर दुश्मन देशों से लडक़र, समाज, खेल, संगीत एवं कला के क्षेत्र में देश का नाम जिन लोगों ने रोशन किया है, ऐसी विभूतियों के नाम पर भाजपा ने मुख्यमंत्री के पास 40 गांवों की एक लिस्ट और पत्र भेजा है। इस लिस्ट में बेगमपुर, सदैला जॉब, फतेहपुर बेरी, हौज खास, शेख सराय, जिया सराय, नेब सराय, अधचिनी, जाफर पुर कला, काजीपुर, नसीरपुर, मिर्जापुर, हसनपुर, गालिब पुर, ताजपुर खुर्द एवं नजफगढ़ के अलावा 40 ऐसे गांव के नाम शामिल हैं जिन्हें बदलने की मांग गांव वाले लंबे समय से करते आ रहे हैं। आदेश गुप्ता ने कहा कि भारत और दिल्ली आज आजादी के 75वें वर्ष को अमृत महोत्सव के रुप में मना रही है और ऐसे में दिल्ली का कोई भी युवा नहीं चाहेगा कि प्रदेश के अंदर गुलामी के प्रतीक नाम हों, उसको कोई भी गांववाले पसंद नहीं करेंगे। इसलिए गांववाले आगे आकर मोहम्मदपुर गांव के नाम को बदलकर माधवपुरम करने का फैसला किया जिसपर कल मुहर लगाई गई। उन्होंने कहा कि दिल्ली बदल चुकी है और अब यह मुगलों का सराय नहीं बल्कि देश की राजधानी है और दिल्ली के गांव के लोग भी उसी स्वाभिमान के साथ जीना चाहते हैं। गांव का युवा आज अपनी गांव की पहचान किसी गुलामी के प्रतीक से नहीं जोडऩा चाहते हैं बल्कि वह देश के वीर सपूतों,महान विभूतियों एवं देश का मान बढ़ाने वाली हस्तियों के नाम से अपनी गांव की पहचान चाहते हैं। आदेश गुप्ता ने कहा कि जिन 40 गांवों के नाम बदलने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भेजा गया है उन गांवों के नाम बदलकर अटलग्राम, कप्तान विक्रम बत्रा ग्राम, मोहन चंद शर्मा ग्राम, लता मंगेशकर ग्राम, मिल्खा सिंह ग्राम, यशपाल शर्मा ग्राम, रामनाथ गोयनका ग्राम, अशरफ उल्लाह खान ग्राम, अंकित शर्मा ग्राम, मंगल पाण्डेय ग्राम, लक्ष्मी बाई ग्राम, बिस्मिल्लाह खान ग्राम, मोहम्मद रफी ग्राम, सर छोटूराम ग्राम, परशुराम ग्राम, रविदास ग्राम, वाल्मीकि ग्राम सहित अन्य महान विभूतियों के नाम पर रखा जाना है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि भाजपा अपने मन से ही इन नामों को बदलने की बात कर रही है बल्कि दिल्ली के गांव की पंचायतों से परामर्श और गांव के लोगों से राय सुमारी करने के बाद ही ये फैसला लिया गया है। इसलिए जैसा केजरीवाल कहते हैं कि वे दिल्लीवालों की हर बात मानते हैं, तो उम्मीद है कि राजनीति से उठकर वे इस प्रस्ताव को भी मानेंगे।