पीपल के पेड़ से दिल्ली में ऑक्सीजन 40 गुना बढ़ेगी: स्वामी अद्वैतानंद गिरि
नई दिल्ली। अभी लोग कोरोना के कहर से पूरी तरह उबरे नहीं हैं कि प्रदूषण की मार दिल्लीवासियों की गले की हड्डी बन गई है। सरकार सहित दिल्ली की अन्य इकाईयों के लाख कोशिशों के बावजूद दिल्ली के वायु प्रदूषण से लोगों को मुक्ति नहीं मिल रही है। दिल्ली के वायु प्रदूषण को देखते हुए शुक्रवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर इंटरनेशनल मेडिटेशन फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं ने प्रदूषण के प्रति अपना रोष व्यक्त किया और दिल्ली में विलायती कीकर के स्थान पर पीपल का पौधा लगाने की अपील की। इस मौके पर उत्तरी दिल्ली के पूर्व महापौर जय प्रकाश सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। इस मौके पर उपस्थित लोगो को संबोधित करते हुए इंटरनेशनल मेडिटेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष स्वामी अद्वैतानंद ने कहा कि दिल्ली के जंगल में मुख्य रूप से विलायती किकर हैं जो इसके आस-पास अन्य पेड़ों को उगने नहीं देते हैं और अपनी गहरी जड़ों के साथ इसने जमीन को सूखा छोड़ दिया है। पीपल, फिकस रिलिजिओसा के पेड़ इसके पास बहुत अच्छी तरह से उग सकते हैं और वे किसी भी अन्य पेड़ की तुलना में तेजी से बढ़ेंगे। जैसे-जैसे ये नए पेड़ बढ़ते हैं, विलायती कीकरों को एक साथ काटा जा सकता है और अंत में हटाया जा सकता है। दिल्ली के जंगल में लगभग 90 प्रतिशत विलायती कीकर है और इसकी जगह पीपल के पेड़ लगाने से शहर में हवा की गुणवत्ता पर जादुई प्रभाव पड़ेगा। पूर्व महापौर जय प्रकाश ने कहा कि शोध रिपोर्टों के अनुसार विलायती किकर की कार्बन सीक्रेेस्ट्रेशन क्षमता लगभग 11 प्रतिशत की तुलना में पीपल के पेड़ की कार्बन सीक्वेेस्ट्रेशन क्षमता लगभग 87 प्रतिशत है। यह विलायती कीकर से करीब आठ गुना ज्यादा है। पीपल के पेड़ का आकार, इसकी छतरी विलायती कीकर से 5 गुना अधिक है। आठ गुना कार्बन पृथक्करण क्षमता को 5 गुना से गुणा करके जंगल में 40 गुना वृद्धि होती है।