आज के परिवेश में साक्षर होने के आयाम बदल गये हैं। कुछ वर्षों पहले साक्षरता के मानक अलग रहे होंगे, आज शिक्षा बहुआयामी व्यक्तित्व विकास के अलावा विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्रीत अधिक हो गई है। इस विषय पर मोटिवेशनल स्पीकर और ट्विन विन संस्था के सीईओ वैभव पांडे अपने विचार व्यक्त करते हुए कहते हैं, “सरकार की बहुआयामी शिक्षा नीति में युवाओं के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है। जिस में आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ प्रतिभा युक्त, बौद्धिक और परिपक्व संस्कारवान युवा पीढ़ी को देश के नेतृत्व देने सहित अन्य सभी दायित्वों के लिए तैयार किया जा सकता है। आज से कुछ कुछ सालों पहले हमारी शिक्षा व्यवस्था सफेद पोश व्यवस्था की पोशक ज़रूर थी पर अब ऐसा नहीं है। आज की शिक्षा व्यवस्था चेतना, बौध को उजागर करने वाली है।आज के युवा विद्यार्थी नए-नए अविष्कार कर रहे है, नयी कंपनियां स्थापित कर रहे है, लड़कियाँ नए कीर्तिमान बना रहीं हैं, एवं देश की रक्षा के लिए सदैव तत्पर है। आज की शिक्षा प्रणाली में किताबी पढाई के अलावा, लाइफ स्किल्स, टाइम मैनेजमेंट, उद्योग आदि के बारे में भी पढ़ाया जाता है। ‘ट्विन विन’ के द्वारा हम भी यही कोशिश करते हैं की हर स्कूल विद्यार्थी को ऐसी महत्वपूर्ण स्किल्स सीखा सकें और उन्हें भविष्य के लिए तैयार कर सकें।”

देश में 50% से अधिक जनसंख्या युवाओं की है। हमारे देश के युवा नए-नए सपने देखते है, आज उनके पास अपने सपने पूरा करने के लिए अवसरों की कमी नहीं है।युवाओं को अपनी आंतरिक क्षमता को पहचानना होगा। उन्हें सोशल मीडिया का उपयोग अपनी प्रतिभा निखारने के लिए करना होगा और अपनी ऊर्जा रचनात्मक कार्यों, ज्ञानार्जन पर केंद्रित करनी होगी। चाहे वो नयी किताबें पढ़ना हो, किसी प्रतियोगिता में भाग लेना हो, अनुभवी लोगो से बातचीत करना हो या अपने कार्यक्षेत्र के बारे में और जानकारी इकठ्ठा करना हो।

साक्षरता के बारे में वैभव कहते हैं, “देश में कुल साक्षरता 77.7% है, यानी 10 में करीब 8 लोग साक्षर हैं और 2 लोग निरक्षर। पढ़ने में तो ये उतना बुरा नहीं लगता। किन्तु जो 8 लोग साक्षर है , क्या उन सबमें वो योग्यताएं है की वो अपनी जीवन को एक नयी दिशा दे पाएं? साक्षरता के लिए वर्तमान परिवेश में अपना नाम लिखना और जोड़ना-घटाना कर पाने से अलग मानकों को आधार बनाना आज के बदलते युग की आवश्यकता है। वर्तमान सरकार ने देश की नई शिक्षा नीति में युवाओं के समग्र विकास पर बल दिया है। इससे नई पीढ़ी को शिक्षित के साथ गुणवान, कौशलयुक्त, विवेक युक्त, नैतिक मूल्यों और राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत किये जाने पर बल दिया गया है।जिस देश में एक चायवाला प्रधानमंत्री और एक गरीब परिवार का बच्चा प्रसिद्ध वैज्ञानिक और प्रतिष्ठित राष्ट्रपति बन सकता है तो वहां कुछ भी हो सकता है।नई शिक्षा नीति में बच्चों के संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास पर ज़ोर दिया गया है। इंटर्नशिप एवं वोकेशनल एजुकेशन पर भी ध्यान दिया गया है। कक्षा 11 में साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स के बीच के अंतर को ख़त्म किया गया है। कोशिश करी गयी है की बच्चे अपने मन के हिसाब से सब्जेक्ट्स का चयन कर सकें और एक सफल करियर बना सकें।नई शिक्षा नीति देश और सामाजिक व्यवस्था के बिल्कुल अनुकूल है।”
वैभव पांडे एक विख्यात मोटिवेशनल स्पीकर एंड हिंदी कवि भी हैं। अपनी नयी किताब ‘सोच संजीवनी’ जो चेन्नई के इविन्सपब पब्लिशिंग हाउस द्वारा पब्लिश हुई हैं के बारे में वैभव बताते हैं, “मेरी पुस्तक ‘सोच संजीवनी’ में ऐसे विचारों का समावेश है, जो युवा भविष्य के मार्गदर्शन में सहायक होगी। पुस्तक नई रचनात्मकता से परिपूर्ण युवाओं की प्रेरक होगी, पुस्तक में सोचने और जानने के लिए ललक जगाने के अलावा सोच बदलने का साहस देगी।”
कोरोना काल में पढ़ाई का नुकसान हुआ है। इस नुकसान की भरपाई के बारे में वैभव अपने विचार रखते हुए बताते हैं, “ऑनलाइन लर्निंग को ऑफलाइन लर्निंग के साथ जोड़ने से ही हो पायेगी।दुनिया में कई जगह स्कूल खुल गए है तो कई जगह अभी भी ऑनलाइन लर्निंग के माध्यम से ही पढाई हो रही है। स्कूलों में शिक्षकों को भी समझना पड़ेगा की ऑनलाइन शिक्षा अब स्कूल का ज़रूरी हिस्सा बन चुकी है जो भविष्य में भी रहेगी।कोरोना काल में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बदलाव देखने को मिले। ऑनलाइन शिक्षा ने शिक्षा व्यवस्था को एक नया मोड़ दिया है। दूरस्थ शिक्षा अब एक वास्तविकता है और कई बड़े कॉलेज अच्छे कोर्सेस दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के माध्यम से अच्छी शिक्षा दे रहे हैं।”