गिवइंडिया के एक पोल से पता चला है कि 85% रेस्पोंडेंट्स भारत की सामाजिक चुनौतियों से निपटने में चैरिटी की भूमि के बारे में काफी आशावादी हैं

गिवइंडिया के एक वार्षिक गिविंग सर्वे के अनुसार आज भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है – लेकिन 85% रेस्पोंडेंट्स का मानना है कि इस तरह के कठिन सामाजिक मुद्दों का समाधान में लोक कल्याण की भावना भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है |

कोविड काल के 18 महीने के बाद भी, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है, कि लगभग 50% रेस्पोंडेंट्स के लिए बुनियादी हेल्थ केयर और बीमारियों के उपचार तक पहुंच एक सबसे बड़ी समस्या है। इसके अलावा इस सर्वे से यह भी सामने आया है कि भूखों के लिए खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना एवं पर्यावरण की रक्षा करना दो अन्य महत्वपूर्ण कारक थे।

दिलचस्प बात यह है कि, सर्वे में 46% रेस्पोंडेंट्स का मानना है कि सहभागिता ही एक महत्वपूर्ण जरिया है। भविष्य की समस्याओं को हल करने के लिए इस क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं से ज्यादा भरोसा लोगो को प्रत्येक व्यक्ति, चैरिटीज, बिज़नेस और सरकार के साथ मिलकर काम करने में है |

गिवइंडिया की यह स्टडी उन चुनौतियों को भी ठीक करने में मदद करने के लिए एक नए उत्साह पर भी प्रकाश डालती है जिससे कि देश जूझ रहा है साथ ही यह राष्ट्रीय विकास में भी अपनी अहम भूमिका का योगदान प्रदान कर रहा है, जिसमे 90% रेस्पोंडेंट्स ने चैरिटेबल कार्यों के लिए अधिक दान देने का वचन दिया है। महामारी के बाद से समाज की पीड़ा और अधिकता की आवश्यकता भी नागरिकों के और अधिक दान देने के मुख्य कारणों में से एक हैं।

इसके साथ ही, 61% सर्वे पार्टिसिपेंट्स बढ़ी हुई सामाजिक चेतना के साथ, एक ऐसी कंपनी के लिए काम करना पसंद करते है जो कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी में सार्थक रूप से संलग्न हो इसके अलावा 55% वह लोग शामिल है जो कि सोशली रिस्पॉन्सिबल बिज़नेस से प्रोडक्ट खरीदने में विश्वास रखते हैं।

इन निष्कर्षों पर अपने विचार साझा करते हुए, गिवइंडिया के सीओओ सुमित तयाल ने कहा, ““ हमारे इस गिविंग बेहेवियर के वार्षिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि नागरिक भारत की प्रगति में अपना योगदान देना चाहते हैं जिसको कि कोविड ने अत्याधिक वास्तविक और जरूरी बना दिया है। इसके साथ ही महामारी ने परोपकार और साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला है – जिसमे कि एक ही लक्ष्य की दिशा में एक साथ काम करने वाली संस्थाओं पर अधिक असर पड़ा है। इसके साथ ही इस सर्वे से पता चलता है जनता का इसमें कितना विश्वास है। ”

देश भर से करीब 500 व्यक्तियों ने वार्षिक गिवइंडिया गिविंग सर्वे में भाग लिया, जिसमें कि 21-60 वर्ष की आयु के बीच पुरुषों और महिलाओं (49% पुरुष और 51% महिला) की लगभग समान भागीदारी थी