यूके सरकार ने फरलो स्कीम लागू की थी, जो महामारी के दौरान हजारों लोगों के लिए संकटमोचक बनकर उभरी हैं। जो काम नहीं कर सकते, या जो नियोक्ता उन्हें भुगतान नहीं कर सकते थे, ऐसे लोगों को हर महीने 2,500 पाउंड तक दिए हैं। शुरुआत में यूके सरकार ने वेतन-भत्तों के 80% का भुगतान किया, लेकिन अगस्त और सितंबर में उसने 60% ही भुगतान किया। शेष 20% भुगतान नियोक्ता को करना था। अब अर्थव्यवस्था दोबारा खुल रही हैं और फरलो स्कीम धीरे-धीरे बंद हो रही है, देश का जॉब मार्केट भी पूरी मजबूती के साथ वापसी कर रहा है। हकीकत तो यह है कि रोजगार से जुड़ी वैकेंसी जुलाई से तीन महीने तक 953,000 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है।
मनोरंजन, आवास और फूड जैसे क्षेत्रों में कई वैकेंसी हैं और इसे दूर करने के लिए यूके में स्किल्ड वर्कफोर्स की कमी महसूस की हो रही है। सही टैलेंट की डिमांड बढ़ गई है। केपीएमजी और रिक्रूटमेंट एंड एम्प्लॉयमेंट कन्फेडरेशन (आरईसी) की नई जॉब रिपोर्ट के अनुसार, तीसरी तिमाही के अंत में आईटी और कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में कर्मचारियों की उच्च मांग है, पर होटल और खानपान क्षेत्र में शॉर्ट-टर्म स्टाफ की मांग में सबसे अधिक वृद्धि देखी जा रही है। रिपोर्ट में यह बात भी बताई गई है कि स्किल्ड स्टाफ की कमी के कारण वेतन में उल्लेखनीय उछाल आया।
सक्रिय इंटरनेशनल स्टूडेंट्स देश में इस समय अपने कोर्स पूरे कर रहे हैं या स्नातक या मास्टर डिग्री पूरी कर चुके हैं, इस स्किल्ड वर्कफोर्स की कमी को दूर करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। वे नए पेश किए गए ग्रेजुएट रूट वीज़ा के जरिए स्नातक स्तर पर यूके में दो साल के कार्य अनुभव का लाभ उठा सकते हैं। वीजा इंटरनेशनल ग्रेजुएट्स को अपने यूनिवर्सिटी के कोर्स के अंत में नौकरी का अनुभव देने के लिए रहने के अधिकार के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है। इसके जरिए भारतीय छात्र यूके में हो रही इन वैकेंसी का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं क्योंकि वे कार्य अनुभव की संभावना के आधार पर अपने डिग्री कोर्स चुनने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा यह उन्हें किसी भी क्षेत्र या भूमिका में नौकरियों के लिए आवेदन करने की सुविधा भी प्रदान करेगा जो उनके स्किल्ड प्रोफ़ाइल के अनुकूल हो, जिसमें बिना किसी एम्प्लॉयर स्पॉन्सरशिप के स्व-रोजगार भी शामिल है।
सिर्फ नौकरी के अवसर ही भारतीय छात्रों को यूके की ओर आकर्षित नहीं कर रहे हैं। देश अपने प्रतिष्ठित और अत्यधिक प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों और ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग, किंग्स कॉलेज, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, यूनिवर्सिटी ऑफ शेफ़ील्ड, यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स, यूनिवर्सिटी ऑफ हडर्सफील्ड और इसके जैसी तमाम यूनिवर्सिटियों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए सबसे पसंदीदा स्थलों की सूची में सबसे ऊपर है। इन लोकप्रिय यूनिवर्सिटियों से ग्रेजुएट निश्चित रूप से आपके रेज़्यूमे को मजबूत बना सकते हैं और प्रसिद्ध फर्मों और संगठनों के साथ सार्थक करियर बना सकते हैं।
यहां मिलने वाली वित्तीय सहायता भी भारतीय छात्रों को यूके में हायर एजुकेशन चुनने के कई महत्वपूर्ण कारणों में से एक है। यूके उत्कृष्ट अकादमिक प्रदर्शन करने वाले छात्रों को कई छात्रवृत्तियां प्रदान करता है, जो आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से होते हैं। इरास्मस मुंडस स्कॉलरशिप, डॉ मनमोहन सिंह स्कॉलरशिप और ब्रिटिश शेवनिंग स्कॉलरशिप कुछ ऐसी उल्लेखनीय स्कॉलरशिप हैं, जिनके लिए भारतीय छात्र आवेदन कर सकते हैं और देश में अपनी हायर एजुकेशन का खर्च उठा सकते हैं।
भारतीय छात्रों के लिए यूके में पढ़ाई करने के लिए स्वास्थ्य लाभ एक और उल्लेखनीय कारण है। जब वे किसी यूनिवर्सिटी में फुलटाइम कोर्स या प्रोग्राम के लिए नामांकन कर लेते हैं, तो वे एनएचएस (राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा) से मुफ्त चिकित्सा उपचार प्राप्त करने के योग्य हो जाते हैं। वास्तव में उनके जीवनसाथी या साथी और आश्रित बच्चे भी इस स्वास्थ्य लाभ को प्राप्त करने के पात्र हैं।
कोविड-19 के अभूतपूर्व प्रकोप और लंबे समय तक लॉकडाउन की वजह से यात्रा प्रतिबंध लगे और सीमा बंद कर दी गई, इसने कुछ समय के लिए जरूर भारतीय छात्रों की भावना को कमजोर किया है। फिर भी, इसने उन्हें यूके में पढ़ाई करने की आकांक्षा पर अपने फोकस से भटकने नहीं दिया। आखिरकार, यह अभी भी अवसरों का देश माना जा रहा है।