नई दिल्ली- दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि वह अग्निपथ योजना के कारण रद्द हुई भर्ती प्रक्रिया फिर से शुरू करने और एक निर्धारित समयसीमा के भीतर लिखित परीक्षा आयोजित करके अंतिम मेधा सूची तैयार करने का सशस्त्र बलों को निर्देश देने संबंधी याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा। अग्निपथ योजना की घोषणा गत 14 जून को हुई थी, जिसके तहत साढ़े सत्रह साल से लेकर 21 साल तक के युवाओं को चार साल की अल्पकालिक सेवा के लिए भर्ती किए जाने का प्रावधान किया गया है। इनमें से केवल 25 प्रतिशत रंगरूटों को ही आगे 15 साल के लिए स्थाई सेवा में लिए जाने का प्रावधान है। इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन हुए थे। बाद में, सरकार ने इस साल के लिए अधिकतम उम्र सीमा 21 से बढ़ाकर 23 कर दी थी। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि वह इस याचिका की सुनवाई अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं के साथ करेगी। याचिकाकर्ता राहुल ने दलील दी है कि उसने भारतीय सेना के सिपाही सामान्य ड्यूटी के पद के लिए, जबकि अन्य उम्मीदवारों ने सिपाही तकनीक, सिपाही तकनीक विमाननाआयुध जांचकर्ता सिपाही तकनीक नर्सिंग सहायका नर्सिंग सहायक पशु चिकित्सा, सिपाही क्लर्का स्टोरकीपर तकनीकाफर्द प्रबंधन और सिपाही ट्रेडमैन के पदों पर आवेदन दिया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने और अन्य उम्मीदवारों ने संबंधित पदों के लिए आवेदन किया था तथा उन्होंने शारीरिक और चिकित्सकीय जांच में सफल रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता 25 जुलाई 2021 को प्रस्तावित लिखित परीक्षा में शामिल होने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन यह परीक्षा कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित हो गई थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकारी वेबसाइट पर अग्निपथ योजना के क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप मंत्रालय ने भारतीय सेना की सामान्य प्रवेश परीक्षा सीईई सहित सभी लंबित प्रक्रियाओं को रद्द कर दिया था। याचिका में अग्निपथ योजना के कारण रद्द सभी भर्ती प्रक्रियाओं को शुरू करने, हिसार सहित सभी केंद्रों पर निर्धारित समयसीमा के भीतर सीईई लिखित परीक्षा आयोजित कराने तथा मेधा सूची तैयार करने का अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई है।