पायो जी मैंने राम” भजन का श्रेय भक्ति संत तुलसीदास जी को जाता है, जिन्होंने अपने कृति “रामचरितमानस” में इसे रचा है. आज अयोध्या के राम मंदिर में जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई तो सबसे पहले मंदिर में इसी भजन की धुन सुनायी दी. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले राम जी के चरणों में फूल अर्पित किए उनकी मूर्ति को नमस्कार किया और फिर उनकी आरती उतारी. लेकिन इस शुभ घड़ी के आते ही सबसे पहले इस मंदिर के प्रांगण में पायो जी मैने राम रतन भजन की धुन चारों ओर गूंजने लगी. तो हमने सोचा कि आपको इस प्रसिद्ध भजन के रचियता के बारे में भी बताते हैं. तुलसीदास जी हिन्दी साहित्य के महान कवि और संत थे, जिन्होंने अपने ग्रंथों के माध्यम से भक्ति, भगवान राम, और सत्य के महत्व की महान उपदेश दिए. “पायो जी मैंने राम” भजन भक्ति और समर्पण की भावना से भरा हुआ है और यह भगवान राम के प्रति भक्ति और श्रद्धा का अभिवादन करता है. पायो जी मैंने राम रतन धन पायो” भक्ति और समर्पण की भावना से भरा हुआ हिन्दी भजन है, जिसका अर्थ है “मैंने राम रत्न को प्राप्त किया है”. इसे साधना और भक्ति के अभिव्यक्ति के रूप में गाया जाता है. यहां इस भजन के कुछ पंक्तियां हैं:
पायो जी मैने राम रतन धन पायो,
वस्तु अधिकारी की, दृढ़ विश्वास रख राखो जी।
पायो जी मैने राम रतन धन पायो,
बनी लाख बोरो ना मैनो हेरो जी।
पायो जी मैने राम रतन धन पायो,
जन्म जन्म की पुन्य भूमि नायो जी।
दीन दयाल राधा कृष्ण मुरारी,
जब से रही मैने यह जीवन हारी।
इस भजन में भक्त का यह भाव है कि उसने राम रत्न (भगवान राम) को प्राप्त किया है और उसे यह भगवान की कृपा का आशीर्वाद मिला है. अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होते ही ये भजन चारों ओर सुनायी देने लगा. भक्त अपने आत्मविश्वास और विश्वास की भावना के साथ इस धन को स्वीकार करता है और भगवान की पूजा-अराधना में लगा हुआ है.