नयी दिल्ली – अपनी स्थापना के कुछ ही वर्षों के भीतर आज जेटसेटगो ने चार्टर विमान और हेलीकॉप्टर बेड़े के भारत के सबसे बड़े संचालक के रूप में स्वयं को स्थापित किया है। भारत के चार्टर उड्डयन बाजार में 20% की हिस्सेदारी पर अधिकार करने के साथ ही यह सबसे बड़े हितधारक के तौर पर उभर कर सामने आई है।इस अवसर पर जेटसेटगो के संस्थापक सीईओ कनिका टेकरीवाल रेड्डी ने कहा हम अपने हवाई समय को बढ़ाने के संकल्प से हर दिन कम से कम 7 उड़ानें भरते हैं और कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत के बाद से यह संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले 2 वर्षों में हमने नौगुणा वृद्धि की है और हमारे 70% ग्राहक इसी अवधि के दौरान हमसे जुड़े हैं। हम अपने यात्रियों के लिए सुरक्षित, आरामदायक और शानदार यात्रा सुनिश्चित करते हैं। जेटसेटगो अब इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग एयरक्राफ्ट का उपयोग करके भारत में शहरों के बीच संपर्क के साथ अग्रणी एयर टैक्सियों को आरंभ करने के शुरुआती चरण में है और आशा है कि जल्द ही इस सेवा को लॉन्च कर दिया जाएगा। कनिका ने कहा हम उच्च परिचालन लागत के जोखिम को कम करने और लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए क्रमशः रख-रखाव लागत को कम करने, एयरटाइम बढ़ाने  तकनीक, विशिष्ट रखरखाव प्रक्रियाओं और स्मार्ट प्रबंधन के संयोजन का इस्तेमाल कर रहा है। आगे कनिका ने कहा यद्यपि देश में वर्तमान परिदृश्य में चार्टर्ड विमानों की प्रासंगिकता बढ़ी है तो दूसरी ओर प्रयाप्त प्रशिक्षित पायलटों की कमी भी है। एयरलाइन क्षेत्र के लिए आवश्यकताओं को पूरा करने और मानव संसाधन को प्रशिक्षित करने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढाँचा और प्रशिक्षण संस्थान की कमी है। प्रशिक्षित पायलटों की कमी इसके विकास को प्रभावित कर सकती है। हम अभी भी वाणिज्यिक पायलटों के प्रशिक्षण के लिए भारत के बाहर के उड़ान स्कूलों पर बहुत अधिक निर्भर हैं। साथ ही देशभर में लोगों से चार्टर्ड विमानों की मांग में तेजी से वृद्धि भी हुई है। भारत में निजी चार्टर एयरलाइन व्यवसाय अभी भी शुरुआती अवस्था में है और इसमें अगले 3 से 5 वर्षों में अभूतपूर्व रूप से बढ़ने की क्षमता है। निजी चार्टर एयरलाइन व्यवसाय के लिए सबसे बड़ी चुनौती बुनियादी ढाँचा, लागत, रख-रखाव की कमी और उच्च कर दर है। उड्डयन जैसी नीतियों के साथ, सरकार न केवल उड्डयन सेवाओं तक आसान पहुँच के लिए छोटे क्षेत्रीय हवाई अड्डों को विकसित कर रही है बल्कि बुनियादी ढाँचे से संबंधित चुनौतियों को भी दूर करने की कोशिश कर रही है। कनिका ने कहा हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि सरकार उन नीतियों और पहलों के क्रियान्वयन पर स्थिति को स्पष्ट करेगी, जो इस उद्योग के विकास में काफी मदद पहुँचाने वाले साबित होंगे।आगे बताते हुए कनिका ने कहा, इस सीजन में चार्टर्ड विमानों में मांग के अनुरूप विमानों की उपलब्धता में कमी भी दिखाई देती है। चारधाम यात्रा,अमरनाथ और वैष्णव देवी यात्रा के लिए अभी सही समय है। ये यात्राएं भारत के सबसे पवित्र तीर्थयात्राओं में से एक है। यह श्रद्धालुओं के लिए साल में केवल 6 महीने के लिए खुलता है। कोरोना की वजह से दो सालों यात्रा तक बंद रहने के बाद अभी यात्रा को शुरू हुए एक महीना ही हुआ है, लेकिन चारधाम यात्रा हेलिकॉप्टर सेवा के बारे में देश भर के विभिन्न भागों से लोग लगातार पूछताछ कर रहे हैं। कनिका ने कहा हमें इस सीजन के दौरान बड़ी संख्या में बुकिंग मिलने की उम्मीद है। यात्रियों की सुविधा के लिए जेटसेटगो ने अन्य हेलिकॉप्टर मालिकों और सेवा मुहैया कराने वालों से साझेदारी भी की है। इस क्षेत्र की कठीनाइयों में तेल की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव भी एक है। भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक देश भी है। हम अपनी तेल की जरूरतों का करीब 80% से अधिक हिस्सा आयात से पूरा करते हैं। तेल कंपनियों द्वारा उच्च आधार मूल्य निर्धारण और फिर उच्च कर ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण उड्डयन क्षेत्र पर काफी प्रभाव और परिचालन पर दीर्घकालिक असर होता है। कनिका ने पायलटों की भूमिका पर बात करते हुए कहा, पायलट हम सभी की उम्मीद से अधिक व्यापक भूमिका का निर्वहन करते हैं। एक एयरलाइन के लिए प्रशिक्षित पायलट के बिना काम करना असंभव होगा। बोइंग के एक अध्ययन के मुताबिक भारत में प्रशिक्षित पायलटों की भारी कमी है। उड्डयन उद्योग की माँगों को पूरा करने के लिए, भारत को प्रति वर्ष कम से कम 1,500 पायलटों की आवश्यकता है। हालाँकि, देश में एयरलाइन क्षेत्र के लिए आवश्यकताओं को पूरा करने और मानव संसाधन को प्रशिक्षित करने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढाँचा और प्रशिक्षण संस्थान की कमी है। भारत उड्डयन क्षेत्र में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। इसीलिए उड्डयन क्षेत्र में ढांचागत सुविधाओं के विकास की आवश्यकता है।