नई दिल्ली- राजधानी दिल्ली में सोमवार से नर्सरी से आठवीं तक के स्कूल खुल रहे हैं। इसको लेकर स्कूल प्रशासन की तरफ से पहले ही सभी स्कूलों में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और इसके साथ ही स्कूलों को सैनिटाइज भी किया जा चुका है। हालांकि, अब भी बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर आशंकित हैं। कोविड-19 महामारी के चलते लंबे समय से स्कूल बंद रहे हैं स्कूलों के कमरों की साफ-सफाई हो चुकी है। अब बच्चों के स्कूल आने का इंतजार किया जा रहा है। बच्चों को मास्क, सेनेटाइजर चेक करने के बाद ही कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा। छोटी कक्षा के बच्चों की पढ़ाई का समय कम रखा जाएगा। धीरे-धीरे उनका समय बढ़ाया जाएगा। वहीं रोहिणी स्थित श्रीराम वंडर इयर्स स्कूल की प्रमुख शुभी सोनी ने कहना है कि हम चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोल रहे हैं। एसएमएस और ईमेल के जरिए अभिभावकों को जानकारी दे दी गई है। मौसम को ध्यान में रखकर हम पढ़ाई कक्षाओं से बाहर और हवादार स्थान पर कराने की योजना बना रहे हैं। बाहर के उपकरण और प्रकृति का इस्तेमाल कर बच्चों को पढ़ाने और पाठ्यक्रम पर काम कर रहे हैं। कक्षा के बाहर की गतिविधियों जैसे खेलों और मैदान में खेले जाने वाले खेलों को बढ़ावा दे रहे हैं। पूर्वी दिल्ली के एक स्कूल में प्राथमिक इकाई की अध्यक्ष अमिता शर्मा ने कहा कि पहले महीने हम प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों को सहज बनाने की योजना बना रहे हैं क्योंकि इनमें से कुछ छात्र पहली बार स्कूल में दाखिल होंगे। हम विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग गतिविधियों की योजना बना रहे हैं।छात्रों का कहना है कि करीब डेढ़ साल बाद स्कूल खुल रहे हैं। उन्हें खुशी हो रही है कि स्कूल खुल रहे हैं
सुबह स्कूल में अपने दोस्तों के साथ मिल सकेंगे। शिक्षकों से मिल सकेंगे लेकिन डर इस बात का भी है क्योंकि अभी कोरोना बिल्कुल खत्म नहीं हुआ है और उन्हें वैक्सीन भी नहीं लगी है। इसलिए उनका कहना है कि अगर माता-पिता भेजेंगे तो स्कूल जरूर जाएंगे। लेकिन अभिभावकों के मन में एक डर यह भी है कि उनके छोटे बच्चे हैं। वह स्कूल में कैसे भेजें उन्हें डर इस बात का है बड़ा बेटा बच्चे छोटे है, इतने समझदार नहीं है। इसलिए वह अभी छोटे बच्चे को अपने स्कूल में नहीं भेजेंगे। स्कूल खुल रहे हैं तो बच्चों के चेहरे पर खुशी साफ देखी जा रही थी बच्चे कह रहे थे कि हम स्कूल जाएंगे। इतना ही नहीं हमारा समय के साथ पढ़ाई भी पूरी तरह से बर्बाद हुई है। बच्चे यह भी मांग कर रहे हैं कि उनके लिए भी वैक्सीन की डोज आए और उन्हें कोरोना का टीका लगाया जाए। सभी से अपील करेंगे अन्यथा उनके मन में भी यही डर है कि उन्हें कोरोना की बीमारी ना हो जाए।स्कूलों में छात्रों बैठने की को बुलाने के लिए कक्षा का सैनिटाइजेशन छात्रों के व्यवस्था और वाहन सुविधाओं को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है। प्रधानाचार्य के मुताबिक कक्षा ऑनलाइन ऑफलाइन दोनों माध्यम से संचालित की जाएंगी। ऐसे में छात्र अभिभावकों की सहमति के बाद ही स्कूल आ सकेंगे अगर अभिभावक कोरोना संक्रमण की वजह से छात्रों को स्कूल जाने के लिए अनुमति नहीं देंगे तो स्कूल प्रशासन छात्र पर स्कूल आने के लिए दबाव नहीं बनाएगा। वैसे हर कक्षा में सीटों के अनुपात में 50 प्रतिशत छात्रों को ही बैठने की अनुमति दी जाएगी।