नई दिल्ली- सर्वाइकल कैंसर यानी बच्चेदानी के मुंह का कैंसर भारत में महिलाओं में होने वाले कैंसर में दूसरे स्थान पर आता है। पहला स्थान स्तन कैंसर का है, जो कि सबसे बड़ी संख्या में महिलाओं की समस्या बना हुआ है। एक रिसर्च के मुताबिक विश्व में हर 10 में से एक महिला सर्वाइकल कैंसर की पेशेंट है। इस बीमारी की शिकार सबसे ज्यादा 35 से 55 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाएं होती हैं। भारत के ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में महिलाएं इस बीमारी की जानकारी के अभाव में और लोकलाज की वजह से एक-दूसरे से कह नहीं पाती हैं। इसकी वजह से बहुत सी महिलाओं की मौत हो जाती है। यही कारण है कि देश में यह बीमारी तेजी से अपने पैर पसार रही है। सर्वाइकल कैसर को लेकर दिल्ली के महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में विशेषज्ञ डॉटर्स ने यह जानकारी कार्यक्रम में मौजूद लोगों को दी।डॉक्टर्स का कहना है कि महिलाओं में इस बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है। इस बीमारी की समय रहते पहचान भी की जा सकती है और इसका पूर्णतः इलाज भी किया जा सकता है। डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चे दानी से गंदें पानी का रिसाव, माहवारी का अनियमित होना, संभोग के समय खून आना, कमर या पैर में अधिक दर्द होना या पेशाब में रूकावट होना इसके शुरूआती लक्षण हैं। महिलाओं के ज्यादा बच्चे होना, कई अलग अलग पुरूषों से यौन संबंध बनाना, गुप्तांगों की सफाई में कमी आदि इस बीमारी के खतरे को बढ़ा देते हैं। इस बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि एक रिसर्च के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर की वजह से हर 8 मिनट में एक महिला की मौत हो जाती है। भारत में हर साल महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के एक लाख से ज्यादा मामले सामने आते हैं। पूरे विश्व की बात की जाये तो हर वर्ष 6 लाख से ज्यादा मामले इस बीमारी के सामने आते हैं। खास बात यह है कि अब भारत सरकार भी इस बीमारी को गंभीर मानते हुए इसके बारे में विज्ञापन दे रही है। लड़़कियों को लगवाएं वैक्सीन महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल द्वारका की डॉक्टर अमिता गुप्ता का कहना है कि सर्वावाइकल कैंसर से बचाव के लिए बाजार में वैक्सीन उपलब्ध हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि लड़कियों को 9 से 15 वर्ष की उम्र में यह वैक्सीन लगवाई जा सकती है। यह वैक्सीन दो डोज में लगाई जाती है। यदि उम्र ज्यादा है तो भी इस वैक्सीन को लगवाया जा सकता है, लेकिन फिर इसे तीन डोज में लगवाया जाता है। भारत में इस वैक्सीन को 45 साल की उम्र तक लगवाया जा सकता है।नियमित जांच से ही बचाव डॉक्टर अमिता गुप्ता का कहना है कि सर्वाइकल कैंसर की बीमारी से बचने के लिए महिलाओं को इसकी नियमित जांच कराना जरूरी है। हर महिला को 30 से 50 साल की उम्र में टेस्ट कराते रहना चाहिए। हर 5 साल में एचपीवी डीएनए और हर 3 साल में पीएपी स्मीथर टेस्ट करवान जरूरी है। टेस्ट कराना जरूरी है। यदि एक बार नेगेटिव आता है तो 5 साल बाद फिर से टैस्ट कराना चाहिए। यदि दो बार लगातार सर्वाइकल केंसर का टैस्ट नेगेटिव आता है तो माना जा सकता है कि इस बीमारी की संभावना कम हो जाती है।10 मिनट की सर्जरी और बीमारी से छुटकाराडॉक्टर अनीता गुप्ता बताती हैं कि यदि प्रारंभिक सर्वाइकल कैंसर को डिटेक्ट कर लिया जाता है तो भी पेशेंट को घबराने की जरूरत नहीं है। महज 10 मिनट की सर्जरी जैसे क्रोयोक्यूटरी, थर्मोबेसेशन गरम-ठंडी सिकाई से ही इस बीमारी से छुटकारा मिल जाता है। इलाज की प्रक्रिया बहुत ही छोटे-छोटे प्रोसिजर से पूरी हो जाती है। यही कारण है कि थोड़ी सी सावधानी बरतने से ही इस बीमारी से बचा जा सकता है।