विशाखापट्नम – विशाखापट्नम ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर इतिहास रच दिया। यह आयोजन लाखों प्रतिभागियों की भागीदारी और देश-प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व की उपस्थिति में संपन्न हुआ। आंध्र प्रदेश सरकार के आयुष विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं भाग लिया। इस अवसर पर उन्होनें कहा कि योग न केवल व्यक्ति को रूपांतरित करता है, बल्कि स्वस्थ समाज निर्माण में भी अहम भूमिका निभाता है। विशाखापट्नम ने दो श्रेणियों में रिकॉर्ड बनाए। पहला एक ही स्थान पर सबसे बड़ा सामूहिक योग सत्र,और दूसरा सर्वाधिक लोगों द्वारा एकसाथ सूर्य नमस्कार। पहला रिकॉर्ड 30 किलोमीटर लंबे बीच रोड पर आयोजित भव्य योग सत्र में बनाया गया, जहां 3 लाख से अधिक लोगों ने प्रमाणित प्रशिक्षकों के निर्देशन में एकसाथ योग किया। दूसरे रिकॉर्ड में 25,000 से अधिक लोगों ने एकसाथ सूर्य नमस्कार किया। यह प्रदर्शन संयोजन, अनुशासन और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक बन गया। इस ऐतिहासिक आयोजन का नेतृत्व मुख्यमंत्री श्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने किया। उपमुख्यमंत्री श्री पवन कल्याण, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. एएस कृष्णा, आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों ने आयोजन की सफलता में सक्रिय भूमिका निभाई।इस विशाल आयोजन के मुख्य समन्वयक गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड विशेषज्ञ श्री निश्चल बारोट ने संभाली। उन्होनें अब तक 60 से अधिक रिकॉर्ड सफलतापूर्वक आयोजित किए हैं। उनकी टीम ने आयोजन की समस्त व्यवस्थाओं, स्टूवर्ड प्रशिक्षण, डिजिटल निगरानी और रिकॉर्ड के प्रमाणीकरण का कार्य गिनीज के मानकों के अनुरूप किया।इस अनूठी उपलब्धि पर श्री निश्चल बारोट ने कहा,एक ही स्थान पर एक ही दिन में दो विश्व रिकॉर्ड बनाना अत्यंत दुर्लभ और गर्व का क्षण है। जनता का उत्साह और प्रशासन का सहयोग दर्शाता है कि विशाखापट्नम पूर्वी भारत की योग राजधानी बनने की ओर अग्रसर है। इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनना मेरे लिए सम्मान की बात थी।आध्यात्मिक उपलब्धियों के साथ-साथ ये दोनों रिकॉर्ड वैश्विक मंच पर विशाखापट्नम को योग और वेलनेस हब के रूप में स्थापित करने में सहायक होंगे। यह आंध्र प्रदेश सरकार की स्वास्थ्य, संस्कृति और पर्यटन को सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाते हैं।उल्लेखनीय है कि आयुष मंत्रालय आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी की पारंपरिक भारतीय प्रणालियों के विकास और संवर्धन पर केंद्रित है।

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