नई दिल्ली-  18 जुलाई को आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर एक अहम बैठक होने जा रही है. खास बात यह है कि इस बैठक से पहले ही बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों को बुलावा भेजा है. इस दौरान कुछ ऐसे दलों को भी न्योता भेजा गया है कि जो बीते कुछ समय से एनडीए से नाराज चल रहे थे या किसी तरह के मनमुटाव के शिकार थे. इन्हीं में से एक दल है एलजेपी आर. इस दल के मुखिया है पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिवंगत नेता राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान. चिराग पासवान को हाल में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एनडीए मीटिंग में शामिल होने के लिए एक खत लिखकर न्योता भेजा था. बताया जा रहा है कि चिराग पासवान ने न्योता तो कबूल कर लिया है लेकिन एनडीए में शामिल होने के लिए दो अहम शर्तें भी रखी हैं. आइए जानते हैं क्या है चिराग की मांगें.एनडीए की बैठक विपक्षी किले के ढहाने के साथ-साथ आगामी लोकसभा चुनाव में और ज्यादा मजबूती के साथ आगे बढ़ने के लिए हो रही है. ऐसे में बीजेपी नहीं चाहती है किसी भी तरह की कमी इस बैठक में रह जाए. ऐसे में बीजेपी ने अपने एनडीए घटक दलों को इस बैठक में शामिल होने के लिए बकायदा पत्र भी लिखे हैं.लेकिन चुनावी मौसम के आते ही ऐसा भला कैसे हो सकता है कि राजनीतिक दल अपने हितों की बातें ना करें. लिहाजा जब लोजपा आर के प्रमुख चिराग पासवान के पास एनडीए मीटिंग में आने का न्योता आया तो वो इसके लिए तुरंत राजी हो गए. ऐसे में कयास लगाए जाने लगे कि चिराग एनडीए का ही हिस्सा हैं. लेकिन इससे पहले ही अटकलों का बाजार गर्म होकर हकीकत में बदलता, इस बीच चिराग ने चल दी अपनी चुनावी चाल. चिराग पासवान ने एडीए में शामिल होने के लिए दो शर्तें रखी हैं. या यूं कहें उन्होंने एनडीए में शामिल होने के लिए एक कीमत मांगी है. चिराग पासवान ने एनडीए बैठक में शामिल होने की तो हामी भर दी है, एनडीए का हिस्सा बनने के लिए उन्होंने जो दो मांगें की हैं उसके तहत पहली शर्त है उन्हें लोकसभा की 6 सीटें दी जाएं, वहीं दूसरी मांग है एक सीट राज्यसभा की भी मिले. इन दो शर्तों के पूरा होने पर ही वे आगामी लोकसभा चुनाव में एनडीए का हिस्सा दरअसल चिरागर पासवान की ओर से 6 लोकसभा सीटों की मांग के पीछे भी एक बड़ी वजह है. वर्ष 2019 में  लोजपा को एनडीए में कुल 6 लोकसभा सीटें दी गईं थीं. अहम बात यह है इन सभी सीटों पर लोजपा ने जीत दर्ज की थी. यही वजह है कि एक बार फिर इन्हीं सीटों से चिराग पासवान अपने नेताओं को लड़ाना चाहते हैं.हालांकि अब लोजपा वो पार्टी नहीं रही जो 2019 में थी. 2021 में लोजपा का बंटवारा हो चुका है. मौजूदा वक्त में चिराग पासवान के पास लोक जनशक्ति पार्टी है, जबकि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष उनके चाचा पशुपति पारस हैं, जो पहले ही एनडीए का हिस्सा हैं और केंद्र में मंत्री भी बन चुके. दूसरी तरफ अब भई चाचा और भतीजे के बीच खींचतान थमी नहीं है. एक तरफ लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर चिराग पासवान ने पिता की परंपरागत सीट हाजीपुर से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है तो वहीं इसी सीट पर चाचा पशुपति पारस भी चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. दरअसल पशुपति पारस मौजूदा वक्त में भी इसी सीट से सांसद हैं. लिहाजा वो नहीं चाहते हैं कि उनकी सीट पर भतीजे का कब्जा हो. हालांकि से सीट रामविलास पासवान की परंपरागत सीट थी. बहरहाल अब देखना यह है कि 18 जुलाई को होने वाली एनडीए की बैठक में किस तरह चिराग पासवान अपनी मांगों को मनवाने में सफल हो पाते हैं.