नई दिल्ली – फरीदाबाद के रहने वाले 28 साल के वासु बत्रा उत्तर भारत में ऐसे पहले मरीज बने जिनकी कंधे की सर्जरी ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट पैच की मदद से की गई। यह इलाज आमतौर पर अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों में होता है। अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद में किया गया यह ऑपरेशन देश में इस क्षेत्र में पहली बार फटी हुई रोटेटर कफ मांसपेशी की मरम्मत के लिए एचडीए पैच का इस्तेमाल किया गया। यह पैच विशेष तौर पर मरीज के लिए भारत में मंगवाया गया था। वासु बत्रा की 2021 में बार-बार कंधा खिसकने की समस्या के लिए बैंकार्ट सर्जरी हुई थी। लेकिन वह सर्जरी लंबे समय तक राहत नहीं दे पाई और समय के साथ उनकी हालत और बिगड़ गई। उन्हें बार-बार दर्द और कंधा खिसकने की परेशानी होती रही। इस कारण डॉक्टरों को एक और सटीक और एडवांस्ड सर्जरी करनी पड़ी। यह केस अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद के सीनियर ऑर्थोपेडिक और अपर लिंब सर्जन, डॉ. प्रियतर्शी अमित द्वारा संभाला गया।जब कोई और इलाज काम नहीं आया, तो अमृता हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने डोनर से लिए गए एक एसेलुलर डर्मल मैट्रिक्स की मदद से मरीज का कंधा सही किया। डॉ. प्रियतर्शी अमित ने इस केस के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, यह केस बहुत गंभीर था क्योंकि हड्डी और मांसपेशी दोनों को नुकसान पहुंचा था। चूँकि जॉइंट सॉकेट काफी फट चुका था और कंधे की मांसपेशी बुरी तरह घिस चुकी थी। इसी वजह से हमने बोन ग्राफ्ट के साथ-साथ ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट पैच लगाने का फैसला किया। डॉ. अमित विदेश में भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर चुके हैं। उन्होंने इसके बारे में आगे बताया,फटी हुई रोटेटर कफ मांसपेशी को ठीक करने के लिए हमने यह डर्मल पैच लगाया। इस तकनीक से हमें लंबे समय तक अच्छे परिणाम मिलने की उम्मीद थी और दोबारा मांसपेशी फटने का खतरा भी कम था। केस में डॉक्टरों ने मरीज के कंधे की फटी हुई मांसपेशी को सहारा देने के लिए डोनर से मिली इंसानी त्वचा से बना एक पैच इस्तेमाल किया। इस पैच को “ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट” कहा जाता है। यह शरीर को प्राकृतिक सहारा देता है। ह्यूमन डर्मल एलोग्राफ्ट पैच का इस्तेमाल उत्तर अमेरिका में काफी ज्यादा होता है। वहां हर साल लगभग 20,000 सर्जरी होती हैं। लेकिन लॉजिस्टिकल और नियमों के कारण भारत में यह तकनीक अभी भी बहुत कम इस्तेमाल होती है। वासु बत्रा के केस में यह पैच अमेरिका से अवाना मेडिकल डिवाइसेज़ के माध्यम से विशेष रूप से उनके लिए मंगवाया गया था।अवाना मेडिकल डिवाइसेज़ प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पी. सुंदरराजन ने कहा, हम इस महत्वपूर्ण केस में समय पर और नियमानुसार डर्मल एलोग्राफ्ट उपलब्ध करवाकर सहयोग देने पर गर्व महसूस करते हैं। हमारा लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मेडिकल तकनीकों को भारत तक पहुंचाना है, ताकि यहां के मरीजों को भी बिना देरी के विश्वस्तरीय इलाज मिल सके। मरीज वासु बत्रा ने कहा, लगातार दर्द के कारण रोज़मर्रा के काम करना बहुत मुश्किल हो गया था। लेकिन इस नई सर्जरी ने मुझे दोबारा उम्मीद दी है। भारत में 40 साल से ऊपर के लोगों में करीब 20% कंधे की समस्याएं रोटेटर कफ इंजरी के कारण होती हैं।ह्यूमन एलोग्राफ्ट पैच के अलावा डॉ. प्रियतर्शी अमित के नेतृत्व में सर्जरी टीम ने भारत में कई अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा तकनीकों को भी अपनाया है।

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