नई दिल्ली- अपनी मांगों को लेकर पिछले 23 दिनों से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास के बाहर धरने पर बैठी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओंकी मांगों को भाजपा- कांग्रेस ने जायज ठहराया है। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने केजरीवाल सरकार द्वारा संघर्ष कर रही महिला आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की अनदेखी पर हैरानी व्यक्त की है। वहीं इस पर कांग्रेस कम्युनिकेशन विभाग के चैयरमेन और पूर्व विधायक अनिल भारद्वाज का कहना है कि धरने पर बैठी आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स सहित भोजन पकाने का काम करने वाली महिलाएं अपने हक के लिए लड़ रही हैं जिसको लेकर केजरीवाल पूरी तरह असंवेदनशीलता दिखा रहे है। कांग्रेस पार्टी इसका विरोध करती है। वहीं, रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि ये महिलाएं अपने घर-परिवार को छोडक़ार न्याय की आस में मुख्यमंत्री निवास के बाहर धरने पर बैठी हुई हैं लेकिन उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। उन्होंने आग्रह किया है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल उदारता दिखाते हुए इन कर्मचारियों की मांगें फौरन स्वीकार करें। बिधूड़ी ने कहा कि इस समय इनका वेतन 4800 रुपए महीने से लेकर 9600 रुपए प्रति महीना है। इतनी कम राशि में आखिर ये कैसे गुजारा चला सकती है। पिछली बार 58 दिन चली हड़ताल के बाद अगस्त 2017 में इनकी सैलरी बढ़ाने का ऐलान किया गया था लेकिन घोषित राशि हमें आज तक नहीं मिली। फिर सितंबर 2019 में एक अधिसूचना जारी करके वेतन बढ़ाने की बजाय घटा दिया गया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि दिल्ली सरकार यह ढिंढोरा पीटती है कि दिल्ली में पूरे देश में सबसे ज्यादा न्यूनतम मजदूरी दी जा रही है लेकिन असल में सरकार अपने तहत काम करने वाले कर्मचारियों को ही न्यूनतम वेतन तक नहीं देती। आज दिल्ली सरकार का न्यूनतम वेतन स्किल्ड कर्मचारी के लिए 19473 रुपए मासिक है लेकिन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को इसका 25 फीसदी ही दिया जा रहा। इसलिए इन्हें कम से कम सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी तो दी जाए। यह विडंबना है कि दिल्ली सरकार प्राइवेट सेक्टर पर न्यूनतम वेतन के लिए दबाव बनाती है लेकिन खुद अपने ही कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन नहीं देती। बिधूड़ी ने कहा कि आंगनबाड़ी हेल्पर और कार्यकर्ता का वेतन 20000 से 25000 रुपए किया जाए।