नई दिल्ली- केंद्र सरकार की एक समिति ने सिफारिश की है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान को देश के बाहर स्थापित होने वाले कैंपस से ब्रांड नाम के इस्तेमाल के लिए रॉयल्टी मिल सकती है। विशेषज्ञ समिति ने आईआईटी ब्रांड को लंबे समय तक संरक्षित रखने और विदेशों में स्थापित संस्थान के किसी कारणवश अच्छा प्रदर्शन नहीं करने की सूरत में इसके लिए सुरक्षा उपायों पर भी जोर दिया है। 17 सदस्ईय समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा,आईआईटी को विदेश स्थित इसके संस्थान से कुछ मिलना चाहिए। उदाहरण के लिए, आईआईटी ब्रांड का उपयोग करने के लिए यह रॉयल्टी के रूप में हो सकता है। लंबे समय में आईआईटी ब्रांड को बचाने के लिए सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए। यदि विदेश में स्थापित संस्थानों में से कोई एक किसी कारणवश अच्छा प्रदर्शन नहीं करता है, तो यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए कि आईआईटी ब्रांड की छवि प्रभावित नहीं हो। समिति ने सुझाव दिया है कि इन संस्थानों के लिए आईआईटी के शासकीय ढांचे सहित दुनिया में कहीं की भी सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन प्रणाली को अपनाया जाए। पाठ्यक्रम प्रशिक्षकों को शिक्षण और ग्रेडिंग में पर्याप्त स्वतंत्रता की वकालत करते हुए,जैसा कि आईआईटी में पालन किया जा रहा है, समिति ने यह भी सिफारिश की कि पाठ्यचर्या संरचना लचीली और बहु-अनुशासनात्मक होनी चाहिए। इसने कहा, विज्ञान, वित्त, कला आदि के साथ तकनीकी पाठ्यक्रमों के संयोजन वाले नवाचार और एकीकृत दोहरी डिग्री कार्यक्रमों की अनुमति दी जानी चाहिए। उम्मीद की जाती है कि इस तरह के नए पाठ्यक्रमों की मांग काफी अधिक होगी। विभिन्न आईआईटी को पश्चिमी एशिया और दक्षिण एशियाई देशों से इसके परिसर स्थापित करने के लिए अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं। जहां आईआईटी दिल्ली संयुक्त अरब अमीरात में एक कैंपस स्थापित करने पर विचार कर रहा है, वहीं आईआईटी मद्रास श्रीलंका, नेपाल और तंजानिया में विकल्प तलाश रहा है। केंद्र ने इस साल की शुरुआत में आईआईटी परिषद की स्थाई समिति के अध्यक्ष डॉ के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। समिति ने आईआईटी,एनआईटी या आईआईएसईआर जैसी एक सामान्य प्रणाली बनाने की सिफारिश की है,जिसके तहत संस्थानों की एक श्रृंखला स्थापित की जा सके क्योंकि मौजूदा आईआईटी अधिनियम में देश के बाहर आईआईटी स्थापित करने का प्रावधान नहीं है।