नई दिल्ली- आयाम इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा प्रस्तुत भव्य भरतनाट्यम नृत्य नाटिका ‘ब्रह्मर गीत’ ने 30 नवंबर 2024 को मंडी हाउस स्थित एलटीजी ऑडिटोरियम में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुरदास की कालजयी कविता पर आधारित यह प्रस्तुति प्रेम, भक्ति और गोपिकाओं तथा कृष्ण के आध्यात्मिक संबंधों का एक मार्मिक चित्रण थी, जिसे भरतनाट्यम की अनोखी शैली में जीवंत किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत आलारिप्पू से हुई, जिसे चतुष्र जाति और राग नाटई में प्रस्तुत किया गया।शाम का मुख्य आकर्षण वर्णम था, जो सूरदास की कविताओं पर आधारित था। इसमें उधव के गोपिकाओं को निर्गुण भक्ति की ओर प्रेरित करने के प्रयासों को प्रदर्शित किया गया। स्वाति मित्तल ने अपनी अद्भुत कथा शैली के माध्यम से गोपिकाओं की अटूट भक्ति और उनके प्रेम व विरह के भावों को खूबसूरती से प्रस्तुत किया। वर्णम में “सुंदर श्याम मोरा” नामक एक आकर्षक खंड शामिल था, जिसे हिंदुस्तानी गायक श्री नितिन शर्मा ने गाया और संगीतबद्ध किया। इस प्रस्तुति ने दर्शकों के दिलों को छू लिया और उसे भावनात्मक गहराई प्रदान की।कार्यक्रम में एक गहन अभिनय रचना, पदम – “उधो मन न भये दास बीस”, भी प्रस्तुत की गई, जो हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत परंपराओं का अद्भुत संगम था। शाम का समापन तिल्लाना से हुआ, जो राग मधुवंती में प्रस्तुत किया गया एक उत्साहपूर्ण और लयात्मक कर्नाटक संगीत का टुकड़ा था।गुरु श्रीमती सिंधु मिश्रा के निर्देशन और कोरियोग्राफी में तैयार इस प्रस्तुति को श्री नितिन शर्मा के भावपूर्ण संगीत ने और भी खूबसूरत बनाया। साथ ही, श्री जी. इलंगोवन, डॉ. राममूर्ति केशवन, श्री जी. रघुरामन और श्री सचिन शर्मा द्वारा उत्कृष्ट लाइव संगीत ने इसे एक अद्वितीय अनुभव बना दिया। गुरु श्रीमती सिंधु मिश्रा ने कहा, “ब्रह्मर गीत केवल एक प्रस्तुति नहीं है—यह प्रेम और भक्ति की गहराइयों में ले जाने वाली यात्रा है। स्वाति मित्तल ने गोपिकाओं की भावनाओं को खूबसूरती से प्रस्तुत किया है और सूरदास की कालजयी कविताओं को जीवन दिया है। इस प्रस्तुति के माध्यम से शास्त्रीय नृत्य और संगीत की इस उत्कृष्ट धरोहर को दर्शकों तक पहुँचाने का अवसर पाकर हम आभारी हैं।यह कार्यक्रम भारतीय शास्त्रीय कला की समृद्धि को समर्पित था, जिसने अपनी आध्यात्मिक और भावनात्मक गहराई से दर्शकों को मंत्रमुग्ध और भाव-विभोर कर दिया।