नई दिल्ली – प्रमुख लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम प्रदाता D2L ने “आधुनिक उच्च शिक्षा के शिक्षार्थियों के लिए एआई का एकीकरण और सुलभता सुनिश्चित करना” विषय पर अपना शैक्षणिक गोलमेज सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित किया। इस गोलमेज सम्मेलन ने शिक्षकों और प्रशासकों सहित कई प्रमुख विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर समावेशी, व्यक्तिगत और सुलभ शिक्षण अनुभव बनाने की व्यावहारिक रणनीतियों पर चर्चा की। सत्र का मुख्य उद्देश्य यह था कि कैसे संस्थान नवीन दृष्टिकोणों के माध्यम से शिक्षा को बेहतर बना सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि सभी छात्र, चाहे उनकी शारीरिक या संज्ञानात्मक क्षमता कुछ भी हो, इन तकनीकी प्रगतियों का लाभ उठा सकें। और कैसे प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से समावेशी और व्यक्तिगत शिक्षण अनुभव को सशक्त बनाना जा सके, चर्चा का विषय रहा।कार्यक्रम की शुरुआत D2L की ग्लोबल एक्सेसिबिलिटी लीड, डॉ. संभवी चंद्रशेखर ने की। उन्होंने कहा, “D2L में, हमारा उद्देश्य है ‘हर शिक्षार्थी तक पहुंच बनाना,’ चाहे उनकी उम्र, क्षमता या स्थान कुछ भी हो। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारा प्लेटफॉर्म हर किसी के लिए काम करे और अलग-अलग जरूरतों के अनुसार अनुकूलित हो।उन्होंने कहा, “चाहे किसी विद्यार्थी को शारीरिक, संज्ञानात्मक या संवेदी अक्षमता हो, या वह किसी अन्य विशेष परिस्थिति का सामना कर रहा हो, हम उन्हें उनकी सफलता के लिए आवश्यक उपकरण, संसाधन और समर्थन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारी उत्पाद डिजाइन और विकास प्रक्रिया में सुलभता को मुख्य प्राथमिकता देकर, हम शिक्षा के क्षेत्र में नई संभावनाओं को परिभाषित करने और एक नई पीढ़ी के विविध और आत्मविश्वासी शिक्षार्थियों को सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। D2L के दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय निदेशक, डॉ. प्रेम दास महेश्वरी ने भी अपनी बात रखी और चर्चा को और गहराई दी। उन्होंने बताया कि कैसे एआई और प्रौद्योगिकी ने शिक्षा प्रणाली को बदल दिया है। उन्होंने कहा, आज का शिक्षा तंत्र जेनरेटिव एआई, भविष्यसूचक डेटा एनालिटिक्स और LMS के उपयोग से परिवर्तित हो रहा है। इससे शिक्षा अधिक सुलभ, व्यक्तिगत और कुशल हो रही है। जेनरेटिव एआई नैतिक और प्रेरक शिक्षण अनुभव प्रदान करता है, जहां अनुकूली क्विज़ और असाइनमेंट विद्यार्थियों को नियमित अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। भविष्यसूचक एनालिटिक्स LMS डेटा का उपयोग करते हुए यह पहचानता है कि कौन से छात्र अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और किसे अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता है। यह शिक्षकों को व्यक्तिगत शिक्षा स्तर के आधार पर असाइनमेंट तैयार करने में मदद करता है, जिससे सभी छात्रों के लिए बेहतर परिणाम सुनिश्चित होते हैं। उन्होंने आगे कहा, आज की तकनीक ने शिक्षा को पोर्टेबल बना दिया है,अब छात्र कभी भी, कहीं भी शिक्षकों के साथ संवाद कर सकते हैं। यह पारंपरिक बाधाओं को समाप्त करता है। वीडियो आधारित असाइनमेंट जैसे नवाचार छात्रों को रचनात्मक अभिव्यक्ति का अवसर प्रदान करते हैं और उन्हें विषयों को गहराई से समझने में मदद करते हैं। ये उपकरण न केवल शिक्षकों के समय और प्रयासों को बचाते हैं, बल्कि एक समावेशी और सरल शिक्षण वातावरण भी बनाते हैं। पैनल के सदस्यों ने शिक्षा में जेनरेटिव एआई की परिवर्तनकारी भूमिका पर चर्चा की। इसके बाद चर्चा डेटा एनालिटिक्स और इसके छात्र सफलता पर प्रभाव की ओर बढ़ी, जहां प्रतिभागियों ने यह जांचा कि भविष्यसूचक एनालिटिक्स कैसे सीखने की खामियों की पहचान कर सकता है और लक्षित हस्तक्षेप को बढ़ावा दे सकता है। विशेषज्ञों ने इस बात पर विचार किया कि तकनीक किस तरह विकलांग छात्रों के लिए बाधाओं को दूर कर रही है।इस पैनल में इंदौर के शैक्षणिक समुदाय के प्रतिष्ठित सदस्य शामिल थे, जिनमें रेनैसांस विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेश दीक्षित, सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय ऑफ एप्लाइड साइंसेज के कुलपति प्रो. विनीत कुमार नायर, एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च के आईटी विभाग के प्रमुख डॉ. प्रशांत लकडवाल; और मालवांचल विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति डॉ. संजीव नारंग शामिल थे।

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