दिल्ली में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के मामले बढक़र 165 हो गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी किए गए अद्यतन आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। वहीं, दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, ओमिक्रॉन के बढ़ते प्रकोप के बीच राजधानी में सोमवार को कोविड-19 के 331 नए मामले सामने आए, जो नौ जून के बाद एक दिन में सामने आए सर्वाधिक मामले हैं। उधर, दैनिक संक्रमण दर भी बढक़र 0.68 प्रतिशत हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, भारत के 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ओमिक्रॉन स्वरूप के 653 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 186 लोग स्वस्थ हो चुके हैं या अन्य स्थानों पर चले गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, ओमिक्रॉन स्वरूप के महाराष्ट्र में सर्वाधिक 167 मामले सामने आए हैं। इसके बाद दिल्ली में 165, केरल में 57, तेलंगाना में 55, गुजरात में 49 और राजस्थान में 46 मामले सामने आए हैं। दक्षिणी दिल्ली स्थित बत्रा अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, अस्पताल में ओमिक्रॉन के पांच मरीज भर्ती हैं। अस्पताल में भर्ती अन्य सात संक्रमितों की जीनोम अनुक्रमण रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। इनके अलावा, ओमिक्रॉन से संक्रमित पाए गए सात लोगों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अधिकारियों ने बताया कि इनमें से किसी में भी संक्रमण का कोई लक्षण नहीं हैं, हालांकि सभी ने हाल ही में यात्रा की थी। अस्पताल में भर्ती 14 मरीजों में से 11 लोग फाइजऱ के कोविड-19 रोधी टीके की तीन खुराक ले चुके हैं। एक संक्रमित ने जॉनसन एंड जॉनसन का टीका लगवाया था, जबकि अन्य दो को क्रमश: कोविशील्ड और कोवैक्सीन के टीके लगे थे। सूत्रों ने बताया कि सर गंगा राम अस्पताल की नगर अस्पताल इकाई में भी ओमिक्रोन के चार संदिग्ध मरीज भर्ती हैं। इनमें से दो फ्रांस, एक ब्रिटेन और एक घाना से आया व्यक्ति है। इनके नमूनों की जीनोम अनुक्रमण की रिपोर्ट अभी नहीं आई है। वहीं, लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल में भर्ती मरीजों की जानकारी अभी नहीं मिल पाई है। दिल्ली में पांच दिसंबर को ओमिक्रॉन का पहला मामला सामने आया था। तंजानिया से दिल्ली लौटा 37 वर्षीय व्यक्ति इससे संक्रमित पाया गया था।
डॉक्टरों को अस्पताल में होना चाहिए, न कि सडक़ों पर: केजरीवाल
-डॉक्टरों की मांगें जल्द मानने के लिए सीएम ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र
नीट-पीजी की काउंसलिंग करवाने की मांग को लेकर हड़ताल पर गए केंद्र सरकार के डॉक्टरों की मांगें जल्द मानने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा। आपने पत्र में सीएम ने कहा कि कोरोना फिर बढ़ रहा है। डॉक्टरों को अस्पताल में होना चाहिए, न कि सडक़ों पर। मेरा आग्रह है कि इनकी समस्याओं का प्रधानमंत्री जल्द से जल्द समाधान निकालें। डॉक्टरों ने पिछले डेढ़ साल में करोना महामारी के दौरान अपनी जान की परवाह न करते हुए कोरोना मरीजों की सेवा की। इस दौरान कितने डॉक्टरों की जानें गईं, लेकिन वो फिर भी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटे। सोमवार को शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों पर जो पुलिस बर्बरता की गई, हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं। केजरीवाल ने कहा है कि नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी होने से इन डॉक्टरों के भविष्य पर असर पड़ता है। इसके साथ-साथ अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी भी होती है। उन्होंने कहा कि मेरा आग्रह है कि सरकार जल्द से जल्द काउंसलिंग करवाए। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में केजरीवाल ने कहा कि पिछले एक महीने से एम्स, सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया जैसे कई बड़े सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर नीट-पीजी काउंसलिंग के बार-बार स्थगित होने की वजह से हड़ताल पर हैं। यह बहुत दुख की बात है। इतने संघर्ष के बाद भी इन रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग केंद्र सरकार द्वारा नहीं सुनी गईं। परंतु, इससे ज्यादा दुख की बात है कि कल जब यह डॉक्टर शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे, तब पुलिस ने इनके साथ मार-पिटाई की, इन पर हाथ उठाया और उनके साथ दुव्र्यवहार किया। मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रधानमंत्री, ये वही डॉक्टर हैं, जिन्होंने पिछले डेढ़ साल में कोरोना महामारी के दौरान अपनी जान की परवाह न करते हुए कोरोना मरीजों की सेवा की। न जाने इस महामारी के दौरान कितने डॉक्टरों की जानें गईं, लेकिन वो फिर भी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटे। लेकिन आज अगर डॉक्टरों को हड़ताल पर जाना पड़ रहा है, तो यह बेहद दुख की बात है। नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी होने से इन डॉक्टरों के भविष्य पर तो असर पड़ता ही है, लेकिन इसके साथ-साथ अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी होती है और बाकी डॉक्टरों पर बोझ बढ़ता है। उन्होंने कहा कि मेरा आप से आग्रह है कि सरकार जल्द से जल्द नीट-पीजी काउंसलिंग करवाए।