नई दिल्ली- जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार देश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को जोडऩे और उन तक सुविधाएं पहुंचाने को प्रतिबद्ध है और तमिलानाडु की दो जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में डालने वाला विधेयक इसका प्रमाण है। संविधान अनुसूचित जनजातियां आदेश दूसरा संशोधन विधेयक, 2022 पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुंडा ने कहा कि ए समुदाय आजादी के बाद से ही लम्बे समय तक नजरंदाज किए जाते रहे हैं, ऐसे में सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को न्याय मिले इस भावना के साथ यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से इन वंचित वर्ग के लोगों को संवैधानिक प्रावधानों के तहत न्याय मिलने जा रहा है। मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु की नारिकुर्वर और कुरूविकरण पहाड़ी जनजातियों के लोगों की संख्या 27 हजार है। उन्होंने कहा कि इनकी संख्या बहुत अधिक नहीं है, लेकिन सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले इन समुदायों के लोगों तक पहुंचने और इन तक सुविधाएं पहुंचाने का प्रयास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किया गया है। मुंडा ने कहा, देश की आबादी करीब 131 करोड़ है और इसमें से 27 हजार लोगों तक हमारी सरकार की दृष्टि जा रही है, ऐसे में हमारी भावना को समझा जा सकता है। यह वोट बैंक की राजनीति नहीं है, बल्कि विशुद्ध रूप से अंत्योदय और सुशासन का मॉडल है। मंत्री के जवाब के बाद निचले सदन ने ध्वनिमत से संविधान अनुसूचित जनजातियां आदेश दूसरा संशोधन विधेयक, 2022 को मंजूरी दे दी। जनजातीय वर्ग के छात्रों के लिए प्री-मैट्रक छात्रवृत्ति को लेकर विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए अर्जुन मुंडा ने कहा कि इस बारे में आरोप सत्य से परे हैं और शायद सदस्य ने जानकारी प्राप्त नहीं की है या उन्हें जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि 2013-14 में जनजातीय वर्ग के लिए प्री-मैट्रक छात्रवृत्ति के लिए 211 करोड़ रूपए का प्रावधान था जिसे अब बढ़ाकर 419 करोड़ रूपए कर दिया गया है। उन्होंने कहा, हमने जनजातीय छात्रवृत्ति की संख्या भी बढ़ाई है। संविधान अनुसूचित जनजातियां आदेश दूसरा संशोधन विधेयक, 2022 में तमिलनाडु की नारिकुर्वर और कुरूविकरण पहाड़ी जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का प्रावधान है। बुधवार को विधेयक पर चर्चा के दौरान भारतीय जनता पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस सहित कई दलों के सदस्यों ने अपने-अपने प्रदेशों में कुछ समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग उठाई थी।  इस पर मुंडा ने कहा कि इस सूची में किसी जनजाति को शामिल करने के लिए कुछ विधियां तय की गई हैं जिसके अनुरूप ही निस्तारण किया जाता है। विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए भारतीय जनता पार्टी  के निशिकांत दुबे ने झारखंड की कुछ जातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की मांग की। शिवसेना के विनायक राउत ने कहा कि महाराष्ट्र के धनगर समुदाय को स्पेलिंग संबंधी विसंगति के कारण आरक्षण नहीं मिल रहा जिसका ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण की मांग भी दोहराई।
तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि हर राज्य की जनजातियों के लिए अलग-अलग विधेयक लाने के बजाय सरकार को एक साथ एक समग्र विधेयक लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार आदिवासियों को मुख्यधारा में नहीं ला पाएगी, नक्सल समस्या बनी रहेगी। रॉय ने यह भी कहा कि जनजातियों को केवल अनुसूचित जनजाति की सूची में लाने से कुछ नहीं होगा, बल्कि उनके कल्याण के लिए नीति बनानी होगी। एआईएमआईएम के इम्तियाज जलील ने कहा कि मुस्लिमों को कम से कम शिक्षा में पांच प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए जिससे इस समुदाय के बच्चे भी आगे बढ़ेंगे। चर्चा में कांग्रेस के वी वैथिलिंगम, द्रमुक के डीएनवी सेंथिलकुमार और बहुजन समाज पार्टी के मलूक नागर ने भी भाग लिया।