नई दिल्ली – इंड फूड एंड बेवरेज एसोसिएशन (आईएफबीए) ने इस साल विश्व खाद्य दिवस पर एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य था लोगों में खाने-पीने से जुड़ी सही जानकारी फैलाना और आम गलतफहमियाँ दूर करना।यह कार्यक्रम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी, एंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट (एनआईएफटीएम-कुंडली) और इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, कैटरिंग एंड न्यूट्रिशन (आईएचएम-दिल्ली) के साथ सहयोग से आयोजित किया गया। इसमें नीति-निर्माता, उद्योग जगत से जुड़े प्रमुख लोग, खाद्य वैज्ञानिक और शिक्षाविद एक साथ आए, ताकि इस बात पर चर्चा की जा सके कि आज के समय में, जब सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर तरह-तरह की जानकारियाँ और विरोधाभासी दावे फैलते रहते हैं, तो लोगों तक खानपान के विषय में वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित सटीक जानकारी कैसे पहुँचाई जाए। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सचिव श्री अविनाश जोशी ने कहा,आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में प्रोसेस्ड फूड्स – जैसे रेडी-टू-ईट मील, फ्रोज़न स्नैक्स या कैन फूड लोगों के लिए बहुत सुविधा लेकर आते हैं। ये उन्हें समय बचाने में और ज़रूरी पोषण पाने में मदद करते हैं। लेकिन कई बार इनके बारे में जो बातें लोगों तक पहुँचती हैं, वे अधूरी या भ्रामक होती हैं। मीडिया में फैले कुछ मिथक भी लोगों की सोच को प्रभावित करते हैं। कार्यक्रम की सबसे खास झलक रही इंड फूड एंड बेवरेज एसोसिएशन द्वारा एक नई रिपोर्ट की घोषणा, जिसका उद्देश्य पाम ऑयल से जुड़ी पुरानी गलतफहमियों और मिथकों को दूर करना है। पाम ऑयल दुनिया की खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में सबसे ज़्यादा गलत समझे जाने वाली सामग्रियों में से एक है। यह रिपोर्ट वैज्ञानिक तथ्यों और प्रमाणों पर आधारित जानकारियाँ पेश करेगी, जिनमें पाम ऑयल की पोषण, स्थायित्व (सस्टेनेबिलिटी) और फूड मैन्युफैक्चरिंग में भूमिका पर प्रकाश डाला जाएगा। इस पहल का मकसद उपभोक्ताओं और नीति-निर्माताओं दोनों को वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर अधिक जागरूक और समझदारी भरे निर्णय लेने में सक्षम बनाना है। इस अवसर पर श्री सत्येन कुमार पांडा, ईडी (रेगुलेटरी कॉम्प्लाएंस) और सलाहकार (क्वॉलिटी एश्योरेंस), भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने कहा,खाद्य सुरक्षा केवल नियामकीय ढांचे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। हमें ऐसी पहलों का स्वागत करना चाहिए जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मिथकों को दूर करें और लोगों को जिम्मेदार खाद्य विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित करें। कार्यक्रम में कई पैनल चर्चाएँ शामिल थीं, जिनका उद्देश्य पाम ऑयल, ए1/ए2 घी, प्रोटीन सप्लीमेंट्स और प्रोसेस्ड फूड्स जैसे विषयों पर फैली गलतफहमियों को दूर करना था – ये सभी ऐसे मुद्दे हैं जिन पर आम जनता के बीच अक्सर अधूरी या भ्रामक जानकारी फैली रहती है।इस अवसर पर डॉ. एच.एस. ओबेरॉय, निदेशक, एनआईएफटीईएम-के, श्री दीपक जॉली, चेयरपर्सन, आईएफबीए, और श्री कमलकांत पंत, प्रिंसिपल, आईएचएम दिल्ली, ने संयुक्त रूप से कहा,आज के समय में खाद्य क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान अकेले संभव नहीं है। जब गलत जानकारी पहले से कहीं तेज़ी से फैल रही है, तब उद्योग, शिक्षण संस्थानों और नियामक संस्थाओं के बीच सहयोग बेहद ज़रूरी हो जाता है। यह पहल वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित, समावेशी संवाद के ज़रिए लोगों को जागरूक करने और भारत के युवाओं व भावी खाद्य नेतृत्वकर्ताओं को सही निर्णय लेने में सक्षम बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।आईएचएम-दिल्ली और एनआईएफटीईएम-कुंडली के छात्रों ने ‘हेल्दी स्नैकिंग’ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, जिसमें प्रतिभागियों ने ऐसे नवोन्मेषी व्यंजन पेश किए जो स्वाद, सेहत और पोषण – तीनों का शानदार मेल दिखाते थे।