नई दिल्ली – गर्भावस्था में क्या आप श्वसनसंबंधी समस्या का सामना कर रहे हो? सीओपीडी इसका एक कारण हो सकता हैं। सीओपीडी एक पुरानी फेफडे की बिमारी हैं। जो आपके और बच्चे के सेहत पर बुरा असर डाल सकती हैं।क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों की एक तरह की बीमारी है। सीओपीडी से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में लगातार कठिनाई होती है। यह वायुप्रवाह में रुकावट, सूजन और फेफड़ों को काफी नुकसान, सिगरेट पीना और हानिकारक पदार्थों के अत्यधिक संपर्क में आने जैसे कई कारकों के कारण हो सकता है। सीओपीडी जैसी फेफड़ों की बीमारी विभिन्न आदतों के कारण हो सकती है। सीओपीडी के कारण श्वसनसंबंधी समस्या, फेफडों में संक्रमण और हृदयसंबंधी बिमारी होने का खतरा रहता हैं। गर्भवती महिलाओं को सावधान रहना चाहिए क्योंकि उन्हें गर्भावस्था के दौरान सीओपीडी जैसी फेफड़ों की बीमारी होने का अधिक खतरा होता है। सीओपीडी उनकी गर्भावस्था के साथ-साथ भ्रूण पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। इसमें समय से पहले जन्म, बच्चे का वजन कम रहना और बच्चे के विकास में देरी जैसी जटिलताएँ शामिल हो सकती हैं। यही कारण है कि गर्भवती महिलाओं के लिए सीओपीडी के जोखिम को कम करने के लिए कोशिश करना काफी जरूरी हैं।गर्भावस्था के दौरान सीओपीडी से बचने के लिए क्या करें
ट्रिगर से बचें : कई चीजें आपके लक्षणों को ट्रिगर कर सकती हैं। यही कारण है कि आपके ट्रिगर्स की पहचान करना आवश्यक हो जाता है। ट्रिगर्स में आमतौर पर धुआँ, रूसी, धूल और पर्यावरण में मौजूद एलर्जी शामिल हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान अपने घर या आस-पास को साफ रखना सीओपीडी से खुद को बचाया जा सकता हैं। उचित वेंटिलेशन के लिए अपने बेडरूम या हॉल में एयर प्यूरीफायर लगाने पर विचार करें।
प्रसवपूर्व देखभाल : गर्भावस्था के दौरान नियमित डॉक्टर के पास जाए। इससे आपको अपने फेफड़ों के कामकाज और स्वास्थ्य की निगरानी करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा कोई लक्षण दिखाई दिए तो तुरंत डॉक्टर की सलाह ले।
शारीरिक रूप से सक्रिय रहें : गर्भावस्था के दौरान शारीरिक रूप से सक्रिय रहना फायदेमंद हो सकता है। हालाँकि, किसी को अपना वर्कआउट शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। आपका डॉक्टर आपकी स्वास्थ्य स्थिति और भ्रूण का मूल्यांकन कर सकता है और उसके अनुसार सलाह दे सकता है। योग, ध्यान और लंबी सैर जैसी हल्की और कम प्रभाव वाली गतिविधियाँ आपके फेफड़ों के कार्यों को बढ़ाते हुए सक्रिय रहने में मदद कर सकती हैं। यह आपके फेफड़ों की क्षमता को बेहतर बनाने में काफी फायदेमंद हो सकता है।
साँस लेने के व्यायाम: गर्भावस्था के दौरान गहरी साँस लेने के व्यायाम करना चाहिए। इससे न केवल आपले जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकता हैं बल्कि आपके फेफडों के कार्यां को भी बेहतर बनाता हैं। नियमित व्यायाम से तनाव और चिंता कम करने में मदद मिल सकती हैं।
अपने लक्षणों की निगरानी करें : गर्भावस्था के दौरान सीओपीडी के लक्षणों पर नजर रखना चाहिए। खांसी, घरघराहट, सांस लेने में कठिनाई, थकान, सीने में जकड़न और सांस फूलने जैसे लक्षण दिखाई दिए तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी हैं। समय रहते बिमारी का पता चला तो इलाज करना आसान हो सकता हैं।