मुंबई- बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी गौतम नवलखा की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने खुद को तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत के बजाय घर में नजरबंद रखे जाने का आग्रह किया था। न्यायमूर्ति एस बी शुक्रे और न्यायमूर्ति जी ए सनप की पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि अगर नवलखा को तलोजा जेल में चिकित्सा सहायता एवं बुनियादी सुविधाओं की कमी से संबंधित कोई शिकायत है तो उन्हें इस बारे में विशेष एनआईए अदालत को सूचित करना चाहिए। नवलखा ने जेल में मूलभूत सुविधाओं की कमी का हवाला देते हुए खुद को घर में नजरबंद रखे जाने का आग्रह किया था। उच्च न्यायालय ने नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल के अधीक्षक को भी निर्देश दिया कि आरोपी को चिकित्सा किट और आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान की जानी चाहिए। नवलखा तलोजा जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में बंद हैं। पीठ ने कहा,मौजूदा याचिका खारिज की जाती है। याचिकाकर्ता जेल में अपने सामने आ रहीं कठिनाइयों के संबंध में विशेष एनआईए अदालत के पीठासीन अधिकारी से शिकायत करने को स्वतंत्र है। इसने कहा कि उक्त अधिकारी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि कानून के मानकों के भीतर शिकायत का निवारण किया जाए। नवलखा ने इस साल की शुरुआत में अधिवक्ता युग चौधरी के माध्यम से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और आग्रह किया था कि उन्हें न्यायिक हिरासत के बजाय घर में नजरबंद रखा जाए। कार्यकर्ता ने अपने बुजुर्ग होने और कई बीमारियों से पीड़ित होने का हवाला दिया था।