नई दिल्ली – भारत की फिनटेक कहानी का सबसे शक्तिशाली उदाहरण ऐसे स्थानों से आता है जहाँ से किसी ने उम्मीद भी नहीं की हो और ऐसे स्थान हैं स्थानीय स्ट्रीट वेंडर्स एवं हॉकर्स। ये व्यवसाय पारम्परिक रूप से डिजिटलीकृत नहीं होते और संभवतया कुछ समय पहले तक ये बैंकिंग सेवाओं से भी वंचित थे। लेकिन उनकी कार्ट पर क्यूआर कोड के लगने के बाद वे तेज़ी से विकसित होते डिजिटल भारत का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। न तो उन्हें अब खुले पैसे की परेशानी से जूझना पड़ता है और न ही पीक आवर्स के दौरान उनकी बिक्री कम होती है। इसके बजाए वे पहले की तुलना में अब बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं को अपनी सेवाएं प्रदान करने में सक्षम हो गए हैं। आरबीआई द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल करने वाले तकरीबन एक तिहाई यूज़र ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। इस तरह के अडॉप्शन के चलते आज राजस्थान के बुनकर, कर्नाटक के खरीददार से पेमेंट ले सकते हैं। केरल का कारीगर ऑनलाईन असम के उपभोक्ता के साथ जुड़ सकता है। डिजिटल पेमेंट ने न सिर्फ उनकी सुविधा बढ़ाई है, बल्कि उन्हें अधिक से अधिक उपभोक्ताओं के साथ जोड़कर नए अवसर भी उपलब्ध कराए हैं। आज वे आधुनिक फाइनैंशियल सेवाओं का लाभ उठाकर देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार भारत को ई-कॉमर्स निर्यात कारोबार 2030 तक 400 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा, ऐसे में भारतीय व्यापारियों, खासतौर पर एमएसएमई के लिए अपार संभावनाएं हैं, वे सीमापार पेमेंट्स लेकर अपने व्यापार को दुनिया के किसी भी कोने तक पहुंचा सकते हैं। कैशफ्री पेमेंट्स के सीईओ एवं सह-संस्थापक आकाश सिन्हा ने कहा, ‘‘भारत का अगला दशक इस बात पर निर्भर होगा कि हम एमएसएमई को किस तरह सशक्त बनाते हैं। आज के व्यापारी डिजिटल पेमेंट के रूप में भारत के सर्वश्रेष्ठ इनोवेशन का लाभ उठा कर, देश में कॉमर्स के भविष्य को आकार दे रहे हैं। डिजिटल पेमेंट ने उन्हें नए मार्केट्स, पूंजी एवं उपभोक्ताओं के साथ जोड़कर बड़े सपने देखने, बड़े लक्ष्य तय करने और उन्हें साकार करने का आत्मविश्वास दिया है। यह भारत की फिनटेक क्रान्ति है। इसे अपनाने वाले व्यापार न सिर्फ आगे बढ़ेंगे बल्कि विकास का नेतृत्व भी करेंगे। एमएसएमई के विकसित होने के साथ, डिजिटल पेमेंट स्वीकार करने से उनका कैश फ्लो बेहतर होता है। उनके खाते में तुरंत आने वाला पैसा उनके लिए गेम-चेंचर साबित हो सकता है, जिन्हें पहले अक्सर सीमित संसाधनों की समस्या से जूझना पड़ता था। इसके अलावा डिजिटल इकोनोमी में प्रवेश कर ये व्यापारी औपचारिक बैंकिंग सिस्टम के साथ जुड़ गए हैं। इस तरह उनके लिए लोन लेना भी आसान हो गया है और उनके व्यापार के विकास की संभावनाएं और अधिक बढ़ी हैं। नई टेक्नोलॉजी को अपनाना हमेशा आसान नहीं होता। इसके लिए यूज़र्स का भरोसा जीतना ज़रूरी होता है। ऑनलाईन धोखाधड़ी के बढ़ने के कारण अब यह आवश्यक हो गया है कि डिजिटल भुगतान को अत्यंत सुरक्षित बनाया जाए। एआई-एन्मुख फिनटेक प्रोडक्ट जैसे रिस्क शील्ड एवं सिक्योर आईडी, मर्चेन्ट्स को रियल-टाईम में जोखिम एवं धोखाधड़ी की संभावना को पहचानने में मदद करते हैं। ये प्रोडक्ट्स उन्हें घोटालों से बचाने का मुख्य माध्यम बन गए हैं। ये व्यापारियों के लिए धोखाधड़ी एवं नुकसान की चिंता किए बिना उनके लेनदेन को सुरक्षित बनाते हैं। व्यापारियों के लिए, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में नए हैं, इसका अर्थ है एक ऐसा युग जहाँ लेनदेन सुरक्षित और सुचारू होंगे, और धोखाधड़ी व नुकसान का डर नहीं रहेगा।