नई दिल्ली- जेएनयू प्रशासन ने स्वास्थ्य केंद्र को सुबह 6 बजे खोलने के लिए अपने एक्जीक्यूटिव काउंसिल के फैसले को अधिसूचित किया है। महिला डॉक्टर्स और स्वास्थ्य कर्मी जोकि ज्यादातर कैम्पस से बाहर रहते हैं, उन्हें तड़के सुबह सफर करना असुरक्षित महसूस हो रहा है। यहां तक कि कैम्पस के अंदर भी कई घरों में चोरियां हुई हैं। ऐसा लगता है कि इस तरह के फैसले ने दूर रहने वाले महिलाकर्मियों के साथ-साथ पुरुष कर्मियों को भी हतोत्साहित किया है। यूजीसी, शिक्षा मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय को इस मामले को देखना चाहिए। महिला आयोग को भी इस स्थिति में महिलाओं की सुरक्षा की तरफ गौर करना चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा हमेशा ही दिल्ली में चिंता का विषय रही है।एमसीडी, सीजीएचएस, दिल्ली सरकार की कोई भी डिस्पेंसरी दिल्ली में सुबह 6 बजे नहीं खुलती। साथ ही रात के 10 बजे काम से वापस घर लौटने पर सुरक्षा को लेकर उनमें चिंता है। यदि काम करने का समय इस तरह महिला विरोधी होगा तो संस्थान में उनका भरोसा और रोगियों की देखभाल पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि उनका दिमाग, घर पहुंचने या सुरक्षित काम करने के विचारों में ही खोया रहेगा। तनाव, निर्णय लेने की क्षमता और एकाग्रता को कम करता है। हम सब जानते हैं कि किसी भी हेल्थकेयर प्रोफेशनल (डॉक्टर और नर्स) के लिये ये दोनों गुण बेहद महत्वपूर्ण हैं तभी वे अपने मरीज की सबसे अधिक देखभाल कर सकते हैं।