नई दिल्ली – टाइड1 इन इंडिया, एक प्रमुख बिजनेस फाइनेंशियल प्लेटफार्म, ने भारत में महिलाओं के नेतृत्‍व वाले छोटे व्यवसायों को चैंपियन बनाने के लिए पहला भारत वीमन एस्पिरेशन इंडेक्स (बीडब्‍लूएआई) लॉन्च किया है। यह इंडेक्स भारत के टियर 2 और टियर 3 शहरों में महिला उद्यमियों की प्रेरणाओं, आकांक्षाओं और चुनौतियों पर प्रकाश डालता है। टाइड इन इंडिया ने महिला उद्यमियों के लिए ऑफ़लाइन और ऑनलाइन नेटवर्किंग के मौके प्रदान करने के लिए उत्तर, पूर्वोत्‍तर, पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में टाइड वीमन इन बिजनेस एन्सेम्बल (TWIBE) नाम से पीयर कम्युनिटी ग्रुप्स की स्थापना करने का फैसला लिया है । TWIBE का लक्ष्य महिलाओं के नेतृत्व वाले छोटे व्यवसायों के लिए सपोर्ट बढ़ाना है। ये बिजनेस आम तौर पर 0 – 10 लोगों को रोजगार देते हैं। कंपनी की प्रतिबद्धता भारत वीमन एस्पिरेशन इंडेक्स की पहली रिपोर्ट में आए निष्कर्षों से और मजबूत होती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 63% महिलाओं ने कहा कि उन्हें अपने व्यवसाय की स्थापना के दौरान मिले मार्गदर्शन से लाभ हुआ। टाइड इंडिया ने अपने पहले बीडब्‍लूएआई के लिए टियर II और दूसरे शहरों के 18-55 वर्ष के आयु वर्ग के 1,200 से अधिक नए और मौजूदा कारोबारियों का सर्वेक्षण किया। बीडब्‍लूएआई अपने में एक अनूठी पहल है क्योंकि यह मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता जैसे महानगरीय और उद्यमशील केंद्रों की महिला कारोबारियों के बजाय छोटे शहरों और कस्बों की महिला कारोबारियों की आकांक्षाओं को समझने पर फोकस करती है। बीडब्‍लूएआई के पहले संस्करण के मुख्य निष्कर्ष व्यवसाय करने वाली महिलाओं के लिए परिवार सबसे बड़ा प्रेरक और समर्थक है: लगभग 31% महिलाएं अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य चाहती हैं और 28% महिलाएं ‘अतिरिक्त आय’ के साथ अपने परिवार को सपोर्ट करना चाहती हैं। व्यवसाय शुरू करते समय 78% फीसदी महिलाएं परिवार को सबसे महत्वपूर्ण कारक मानती हैं। 77% महिलाओं का कहना है कि उनकी सफलता के पीछे परिवार ‘प्रमुख कारक’ रहा है।
कर्ज तक पहुंच मौजूद है, लेकिन अनौपचारिक उधारी की हिस्सेदारी काफी ज्यादा है : सर्वे में शामिल लगभग 52% महिला उद्यमियों ने कहा कि उनको कर्ज मिलने में दिक्कत नहीं हुई। ये दर्शाता है कि 2 में से 1 उद्यमी के पास फाइनेंसिंग की सुविधा है। जबकि c. 47% फीसदी महिलाओं ने कहा कि उन्हें कर्ज जुटाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लगभग 95 फीसदी महिलाओं का कहना है कि वे अपने कारोबार के लिए मौजूदा सरकारी वित्तीय योजनाओं या पहलों का लाभ उठाने से अनजान हैं। इससे पता चलता है कि महिलाएं ऋण तक पहुंच के लिए अनौपचारिक माध्यमों की ओर रुख कर रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि 80% महिलाएं इस बात से सहमत हैं कि जरूरत के मुताबिक बनाए गए फाइनेंशियल प्रोग्राम उनकी व्यावसायिक यात्रा को आसान बना सकते हैं।
पीयर ग्रुप (सहकर्मी समूह) व्यावसाय की गति और इसकी सफलता में तेजी लाता है, हालांकि इसमें जरूरत के मुताबिक मार्गदर्शन का अभाव देखने को मिला है : लगभग 63% महिलाएं अपने व्यवसायों में मार्गदर्शन के लिए मेंटरशिप तक पहुंच की बात करती हैं। हालांकि, लगभग 90% महिलाएं मार्गदर्शकों के रूप में रिश्तेदारों या करीबी दोस्तों/पारिवारिक नेटवर्क का उल्लेख करती हैं। ये महिलाओं के लिए नेटवर्क और व्यावसायिक जानकारी के साथ कौशल बढ़ाने के लिए कार्यक्रमों की कमी का संकेत है।आत्मनिर्भर महिला कारोबारियों का मानना है कि डिजिटल साक्षरता बहुत जरूरी है: लगभग 80% महिलाएं मानती हैं कि डिजिटल साक्षरता एक महत्वपूर्ण फैक्टर है। लगभग 51%, या 2 में से 1 महिला कारोबारी को व्यवसाय के लिए डिजिटल उपकरणों तक पहुंचने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। महिला उद्यमी वोकल फॉर लोकल को सपोर्ट करती हैं : व्यवसाय में महिलाओं की आकांक्षाओं के केंद्र में परिवार और समुदाय के साथ, भारत के उद्यमी स्थानीय स्तर पर अपने व्यवसाय को खड़ा करने के इच्छुक हैं। लगभग 38% महिलाओं को लगता है कि ग्राहक तक पहुंचना आसान है, जबकि लगभग c.31% महिलाओं को लगता है कि स्थानीय बाजार में पहले कदम रखने का लाभ उन्हें अपने व्यवसाय में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त देता है।भारत में सांस्कृतिक बाधाए ख़त्म हो रही हैं, वर्क-लाइफ बैलेंस एक बड़ी चुनौती है : केवल 13% महिलाओं को अपनी व्यावसायिक गतिविधियों में सांस्कृतिक बाधाओं का सामना करना पड़ा है जो महिलाओं को ‘कमाऊ सदस्य’ बनने के लिए सामाजिक समर्थन में एक अहम बदलाव का संकेत है। बड़े शहरों में खराब वर्क-लाइफ बैलेंस की समस्या अब छोटे शहरों की महिला उद्यमियों को भी परेशान कर रही है। इनमें से c.72% बेहतर सपोर्ट सिस्टम चाहती हैं।टाइड की ग्लोबल सीईओ ओलिवर प्रिल ने कहा, “टाइड का मिशन 2027 के अंत तक वैश्विक स्तर पर 700,000 से ज्यादा लघु महिला व्यवसायियों को औपचारिक रूप से शामिल करना है। व्यवसाय में महिलाओं का सपोर्ट करने के लिए हम अपनी वैश्विक पहल में एक प्रतिबद्ध भागीदार है। हमारा मानना है कि लक्षित पहलों से सफल व्‍यावसाय के रास्ते में आने वाली बाधाओं को खत्म करने में मदद मिलती है। टाइड के पहले भारत वीमन एस्पिरेशन इंडेक्स से मिली जानकारी के आधार पर हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि भारत हमारा पहला बाजार होगा जहां टाइड महिला सदस्यों को ऑफ़लाइन और ऑनलाइन नेटवर्किंग की पेशकश करने के लिए देश के हर क्षेत्र में पीयर कम्युनिटी ग्रुप्स (सहकर्मी सामुदायिक समूह) लॉन्च करेगा। महिला उद्यमियों का सपोर्ट करने वाले वित्तीय संस्थानों के लिए सबसे बड़ी बाधाओं में से एक जेंडर और क्षेत्र (विशेष रूप से टियर 2 शहरों और उससे छोटे शहरों) पर आधारित विश्वसनीय डेटा की कमी है। अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में महिला उद्यमियों के रुझानों के बारे में जागरूकता, डेटा और दूसरी जानकारियों की कमी एक बड़ी समस्या बन जाती है। इससे टारगेटेड एक्शन और वित्तीय या व्यावसायिक सलाह नहीं मिल पाती। महिलाओं के स्वामित्व वाले छोटे कारोबारी समूहों के बारे में इस तरह के अध्ययन से एक खास कारोबारी समूह को उनकी जरूतर के मुताबिक रणनीति तय करने में मदद कर सकती है।टाइड इंडिया के सीईओ गुरजोधपाल सिंह ने कहा, “बीडब्ल्यूएआई के निष्कर्षों ने छोटे शहरों में महिलाओं की आकांक्षाओं, प्रेरणाओं और चुनौतियों को उभारा है। इन निष्कर्षों ने हमें उनकी सफलता की कहानियों में एक प्रमुख भागीदार बनने के लिए प्रेरित किया है। व्यवसाय करने के लिए फंडिंग, सलाहकारों और डिजिटल उपकरणों तक पहुंच एक दूसरे से मजबूती से जुड़ी हुई हैं और एक-दूसरे पर निर्भर हैं। हालांकि, छोटे शहरों की महिला उद्यमियों ने कहा है कि उनके पास ऋण तक पहुंच है। लेकिन वित्तीय प्रणालियों की उनकी समझ में एक बड़ा अंतर इस बात की ओर इशारा करता है कि इन इलाकों में अनौपचारिक तरीके से धन उधार देने वाले चैनलों (साहूकार आदि) की उपस्थिति काफी ज्यादा है जो उनके हित में नहीं है। टाइड के कस्टमाइज्ड डिजिटल टूल्स महिला उद्यमियों को औपचारिक अर्थव्‍यवस्‍था का हिस्सा बनने में मदद करते हैं, उन्हें भुगतान, गवर्नेंस, टैक्सेशन, ऋण आदि के लिए उनके जरूरत के मुताबिक समाधान प्रदान करते हैं।बीडब्ल्यूएआई महिला उद्यमियों के लिए ज्‍यादा सहयोगी इकोसिस्टम बनाने के लिए नीति निर्माताओं, व्यवसायों और गैर सरकारी संगठनों सहित कई हितधारकों के लिए एक रोडमैप के रूप में काम करता है। यह रिपोर्ट फाइनेंस तक पहुंच, परामर्श, डिजिटल साक्षरता और वर्क-लाइफ बैलेंस से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने के लिए लक्षित पहलों, नीति की हिमायत और सामूहिक कार्रवाई के अवसरों की पहचान करती है।