नई दिल्ली- दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। अधिकारियों ने कहा कि मलिक ने रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में जम्मू की अदालत में शारीरिक रूप से पेश होने की मांग करने वाली याचिका दायर की थी, लेकिन सरकार से इस पर कोई जवाब नहीं मिलने पर उसने भूख हड़ताल शुरू कर दी। आठ दिसंबर 1989 को तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में मलिक आरोपी है। जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मलिक ने शुक्रवार सुबह भूख हड़ताल शुरू की। शुक्रवार की सुबह उसने जेल प्रशासन के बार-बार अनुरोध के बावजूद कुछ भी खाने-पीने से इनकार कर दिया। अधिकारी ने बताया कि उसकी सेहत पर नजर रखी जा रही है। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के सामने पेश हुए मलिक ने इसके पहले कहा था कि वह रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में जम्मू की अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होना चाहता है। मलिक ने कहा था कि 22 जुलाई तक अगर सरकार ने इस संबंध में अनुमति नहीं दी, तो वह भूख हड़ताल शुरू करेगा। प्रतिबंधित संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट जेकेएलएफ के 56 वर्षीय प्रमुख मलिक को इस साल मई में दिल्ली की एक अदालत ने आतंकवाद का वित्तपोषण करने के मामले में दोषी ठहराया था। मलिक को विभिन्न अवधि की कारावास की सजा सुनाई गई थी और सारी सजा एकसाथ चल रही है। मलिक को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल नंबर सात में एक अलग कोठरी में रखा गया है। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण एनआईए द्वारा वर्ष 2017 में दर्ज आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में मलिक को वर्ष 2019 की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था। एनआईए की विशेष अदालत ने गत मई में उसे सजा सुनाई थी। इससे पहले कड़ी सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल में बंद ठग सुकेश चंद्रशेखर भी पत्नी से अतिरिक्त मुलाकात की मांग को लेकर 17 दिनों तक भूख हड़ताल पर था। चंद्रशेखर जेल नंबर छह में बंद है। रुबैया सईद का कथित तौर पर जेकेएलएफ के आतंकवादियों द्वारा अपहरण किया गया था। रुबैया को पांच दिन बाद 13 दिसंबर को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाया गया, लेकिन इसके बदले भाजपा द्वारा समर्थित तत्कालीन वीपी सिंह सरकार को जेकेएलएफ के पांच आतंकवादियों को रिहा करना पड़ा था। यह मामला लंबे समय तक ठंडा पड़ा रहा, लेकिन वर्ष 2019 में मलिक की गिरफ्तारी के बाद यह मामला पुनर्जीवित हो गया। इस साल 15 जुलाई को रुबैया सईद पहली बार इस मामले में पेश हुईं और उन्होंने मलिक और तीन अन्य को अपहरणकर्ता के रूप में पहचाना। रुबैया सईद ने न्यायाधीश से कहा, यह वही व्यक्ति है और उसका नाम यासीन मलिक है। उसने मुझे धमकी दी थी कि अगर मैंने उसके आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया, तो वह मुझे मिनीबस से बाहर फेंक देगा।