ओमीक्रोन के मामलों के बारे में जानकारी देते हुए गुरुवार को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि जिनोम सीक्वेंसिंग से पता लगा है कि दिल्ली में कोरोना पॉजिटिव आ रहे 54 फीसद मामले ओमिक्रोन वेरिएंट से संबंधित हैं। उन्होंने बताया कि राजधानी के अस्पतालों में भर्ती 200 मरीजों में से केवल 102 दिल्ली के रहने वाले लोग हैं, बाकी 98 दिल्ली से बाहर के हैं। फिलहाल सभी ओमिक्रोन के मरीजों को दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती किया गया है। दिल्ली सरकार ने 4 जगहों पर (टेरपंथ भवन, सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर, कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज और आईबीआईएस होटल) स्टेप-डाउन कोविड केयर सेंटर खोलने का फैसला लिया है। सरकार लगातार बढ़ रहे मामलों पर पैनी नजर बनाए हुए है। विशेषज्ञों की टीम लगातार हालात की जानकारी दिल्ली सरकार के साथ साझा कर रही है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ओमीक्रोन से घबराने की नहीं, बल्कि सावधानी बरतने की जरूरत है। सभी लोग मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले ओमीक्रोन वेरिएंट कम घातक प्रतीत हो रहा है। इसमें मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ रही है। अभी तक ओमीक्रोन के किसी भी मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता नहीं पड़ी है। मंत्री ने बताया कि जीनोम सिक्वेन्सिंग की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में जो लोग कोरोना पॉजिटिव आ रहे हैं उनमें से 54 फीसदी मामले ओमीक्रोन के हैं। इस 54 फीसदी मामलों में दोनों शामिल हैं, जिनकी ट्रैवल हिस्ट्री है और जिनकी ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है वे भी। इसका मतलब दिल्ली में अब कम्यूनिटी स्प्रेड होने की संभावना बढ़ती हुई नजर आ रही है।
डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले ओमीक्रोन वेरिएंट कम घातक: मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि डीडीएमए की मीटिंग में शामिल एक्स्पट्र्स के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले ओमीक्रोन वेरिएंट कम घातक प्रतीत हो रहा है। इसमें मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने कि ज़रूरत नहीं पड़ रही है। अस्पताल में भर्ती मरीजों में से किसी भी मरीज को फिलहाल ऑक्सीजन लगाने की जरूरत नहीं पड़ी है और ज्यादातर मरीजों में मामूली लक्षण ही मिले हैं। उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं लग रही है। इसलिए सरकार ने 4 जगहों पर स्टेप-डाउन कोविड केयर सेंटर खोलने का फैसला लिया है। इसके अलावा स्टेप डाउन कोविड केयर सेंटर का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब मरीज को कुछ दिन अस्पताल में रखने के बाद मरीज का स्वास्थ्य बेहतर हो जाता है। तब उसे अस्पताल की जरूरत नहीं होती। इसके बाद उसे स्टेप-डाउन कोविड केयर सेंटर में भेजा जाता है। जहां स्वास्थ्य कर्मी उसकी देख-रेख करते हैं। प्रत्येक कोविड केयर सेंटर की क्षमता 100 से 500 मरीजों की है। हालांकि सबसे गंभीर समस्या यह है कि डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले बहुत तेजी से फैल रहा है।