नई दिल्ली- लगभग 9 साल पहले तक दिल्ली में एक ही नगर निगम था, लेकिन 2012 के निगम चुनाव से पहले दिल्ली नगर निगम को तीन भागों में विभाजित कर दिया गया। उस वक्त तर्क दिया गया था कि ऐसा करने से नगर निगम के कामकाज में सुधार लाया जा सकेगा और ये प्रभावी तरीके से जनता को सेवाएं दे सकेंगी। लेकिन नगर निगम को विभाजित करने के बाद से ही नगर निगमों के कामकाज में कोई खास सुधार तो नहीं हुआ,उलटे निगम वित्तीय संकट में इस कदर फंस गए कि कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल हो गया। बता दें की अभी साउथ एमसीडी को छोडक़र ईस्ट और नॉर्थ एमसीडी दोनों की ही हालत बेहद खराब है, यहां ईडीएमसी के शिक्षकों को सैलरी समय पर नहीं मिली है, ईस्ट एमसीडी के पेंशनधारियों को पेंशन नहीं मिली है,ए ग्रुप के कर्मचारियों को भी समय पर वेतन नहीं मिला है अब अगर नॉर्थ एमसीडी की बात करें तो यहां टीचर्स को समय पर सैलरी नहीं मिली है,यहां के पेंशनधारियों को पेंशन समय पर नहीं मिल रही है,जिसकी वजह से निगम कर्मचारियों को कई बार हड़ताल पर भी जाना पड़ा।अब बात करें एकीकरण से इनकी समस्या कैसे दूर होगी तो यह नहीं कहा जा सकता है कि तीनों एमसीडी के एक होती ही समस्या खत्म हो जाएगी, दरअसल, इसमें थोड़ा टाइम लग सकता है लेकिन काफी हद तक एमसीडी की इनकम बढ़ जाएगी,खर्चे कम हो जाएंगे, ऐसे में एमसीडी की वित्तीय स्थिति भी ठीक हो जाएगी, अब एमसीडी एक होने पर तीन मेयर पर अलग से होने वाला लाखों का खर्च बचेगा, तीनों सदनों में होने वाला खर्च बचेगा, टैक्स से होने वाली इनकम एक साथ एक जगह जमा होगी, खर्च का बजट भी एक जगह बनेगा, ऐसे में भी बजट संतुलित होगा, तीन जगह फैसला न लेकर एक जगह से ही फैसला हो जाएगा। दिल्ली नगर निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती के मुताबिक संतुलित और पारदर्शी तरीके से पूरी दिल्ली का विकास करना हमारी प्रथमिकता होगी एकीकृत नगर निगम के निर्माण समिति के अध्यक्ष रहे जगदीश ममगाई कहते हैं कि दिल्ली नगर निगम पर दिल्ली सरकार के करोड़ों रुपए का कर्ज बकाया है ऐसे में केंद्र जब हजार करोड़ की अनुदान राशि निगमों को वाया दिल्ली सरकार देता है तो दिल्ली सरकार उस पर लगने वाला ब्याज और किश्त काट लेती है, जो दोनों के बीच विवाद की बड़ी वजह है। एमसीडी को ग्लोबल शेयर एक मुश्त पार्किग शुल्क और ट्रांसफर ड्यूटी में दिल्ली सरकार से हिस्सा मिलता है जो दो दशकों पुराना विवाद है, नए वाहनों के पंजीकरण में दिल्ली सरकार को मिलने वाला पार्किंग चार्ज में निगम का भी हिस्सा होता है, जमीन की खरीद फरोख्त में ट्रांसफर ड्यूटी में भी निगम का हिस्सा होता है, इन सभी को लेकर निगम दिल्ली सरकार पर पैसे ना देने का आरोप लगाता रहता है दिल्ली वित्त आयोग की रिपोर्ट ये कहती है कि दिल्ली सरकार की आय का कुछ हिस्सा दिल्ली नगर निगम को भी देना होता है लेकिन इन विवादों पर बिल में कुछ भी बात नहीं की गई है।