नई दिल्ली – टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के उप-प्रबंध निदेशक स्वप्नेश आर मारू का कहना है कि वाहन विनिर्माताओं को इस बात का पूरा भरोसा है कि सरकार अर्थव्यवस्था और परिवहन क्षेत्र को एक ऐसे हरित भविष्य में स्थानांतरित करने की ओर प्रयास जारी रखने वाली है जो जीवाश्म ईंधन पर ज्यादा निर्भर न हो. जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक रघुपति सिंघानिया के अनुसार, ऑटोमोबाइल सेक्टर को लेकर नीतियों से इस क्षेत्र का विस्तार होगा.महिंद्रा लास्ट माइल मोबिलिटी की प्रबंध निदेशक एवं सीईओ सुमन मिश्रा का कहना है कि समावेशी आय सृजन, इलेक्ट्रिक तिपहिया और वाणिज्यिक वाहनों को लेकर लोग वित्तीय रूप से मजबूत हो रहे हैं. हम बजट में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने और विनिर्माण की योजना को लेकर इस क्षेत्र को प्राथमिकता देने की उम्मीद रखते हैं.पीएचएफ लीजिंग लिमिटेड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी शल्य गुप्ता के अनुसार, सरकार 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. यहां पर हल्के वाणिज्यिक इलेक्ट्रिक वाहन न केवल रोजगार को प्रदान रहे हैं. ये कम उत्सर्जन के समाधान में भी अहम भूमिका अदा कर रहे हैं. उन्होंने उम्मीद व्यक्त की है कि सरकार ईएलसीवी पर न केवल सब्सिडी समर्थन जारी रखने वाली है, बल्कि इनके पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल करेगी.ऑटोमोबाइल सेक्टर की कुछ खास कंपनियों का मानना है कि सरकार अपने अंतरिम बजट में ग्रीन ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने वाली नीति को जारी रखने की जरूरत है. इसके साथ बुनियादी ढांचा के विकास की रफ्तार को जारी रखना भी जरूरी है. गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करने वाली हैं.मर्सिडीज बेंज इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी संतोष अय्यर का कहना कि “हमारा अनुमान है ​कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं पर पूंजीगत व्यय जारी रहने वाली है. सरकार को हरित परिवहन के लिए नीतिगत प्रोत्साहन पर ध्यान जारी रखना होगा. इससे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की स्वीकार्यता तेजी से आगे बढ़ने में सहायता मिलेगी.अय्यर के अनुसार, लक्जरी कार उद्योग देश के सकल घरेलू उत्पाद में अहम भूमिका अदा करता है. इस क्षेत्र में शुल्क ढांचे के साथ जीएसटी बेहतर किया जाए. उनका कहना है कि आने वाले बजट से उन्हें ज्यादा उम्मीद नहीं है. अभी लक्जरी वाहनों पर 28 फीसदी माल एवं सेवा कर लगता है. वहीं सेडान पर 20 फीसदी और एसयूवी पर 22 फीसदी का अतिरिक्त सेस लगाया जाता है. सब मिलाकर कुछ कर करीब 50 फीसदी तक बैठता है.