नई दिल्ली – सच्चा प्रेम और त्याग का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए, 59 वर्षीय कृष्ण कुमार गुप्ता को उनकी पत्नी से जीवन का सबसे बड़ा उपहार मिला, एक किडनी, जिसने उन्हें दोबारा जीने का अवसर दिया। दिल्ली स्थित धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में सफल ट्रांसप्लांट सर्जरी के साथ श्री गुप्ता की बीमारी से लड़ाई समाप्त हुई और उनके जीवन का एक नया अध्याय शुरू हुआ। इस अवसर पर धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल के वरिष्ठ सलाहकार एवं निदेशक, नेफ्रोलॉजी, डॉ. लक्ष्मी कांत झा ने कहा, किडनी डोनर और रिसिपिएंट जैसी परिस्थितियाँ ही असली परीक्षा होती हैं। श्रीमती गुप्ता का यह निस्वार्थ उपहार, सच्चे प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट के निदेशक और वरिष्ठ सलाहकार डॉ. यासिर रिज़वी ने कहा, श्रीमती गुप्ता जैसी हर लिविंग डोनर, ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हज़ारों मरीजों के लिए उम्मीद की किरण बनती हैं। उनका निर्णय दिखाता है कि जीवन का उपहार दूसरों से साझा करके हम कितनी बड़ी सकारात्मकता फैला सकते हैं।श्री गुप्ता क्रॉनिक किडनी डिजीज से पीड़ित थे और 24 मार्च 2025 से डायलिसिस पर निर्भर थे। जैसे-जैसे उनकी तबीयत बिगड़ती गई, उनकी पत्नी एक कम्पैटिबल डोनर के रूप में सामने आईं और उन्होंने अपना B+ ब्लड ग्रुप साझा करते हुए अपनी किडनी दान की। डॉ. सुमित गहलावत की अगुवाई में ट्रांसप्लांट टीम ने यह जटिल प्रक्रिया सावधानीपूर्वक पूरी की। सर्जरी के बाद, श्री गुप्ता की रिकवरी आश्चर्यजनक रही ट्रांसप्लांट के दिन ही उन्होंने 12 लीटर से ज्यादा यूरिन प्रोड्यूस किया, जो नई किडनी के अच्छे कार्य करने का संकेत है। इस अवसर पर नेफ्रोलॉजी टीम के सदस्य डॉ. प्रणव त्यागी ने कहा, जब ट्रांसप्लांट की गई किडनी काम करना शुरू करती है, वह क्षण किसी चमत्कार से कम नहीं होता। 9 दिन की निगरानी और बेहतर होती सेहत के बाद श्री गुप्ता को 14 मई 2025 को अस्पताल से छुट्टी दी गई। उनके किडनी फंक्शन टेस्ट के परिणाम बहुत अच्छे रहे क्रिएटिनिन लेवल 4.82 से घटकर 1.13 हो गया, जो स्वस्थ किडनी के संकेत हैं। भारत में, जहां हज़ारों लोग किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार करते हैं, वहां श्रीमती गुप्ता जैसी लिविंग डोनर्स, एंड-स्टेज रीनल डिज़ीज से जूझ रहे मरीजों के लिए उम्मीद की किरण बनती हैं।यह कहानी ट्रांसप्लांट मेडिसिन में हो रही तरक्की को भी दिखाती है, जहां आधुनिक इम्यूनोसप्रेसिव दवाइयाँ अंग अस्वीकृति को रोकने और डोनेट की गई किडनी के जीवन को बढ़ाने में मदद कर रही हैं। श्री कृष्ण कुमार गुप्ता अब घर पर सख्त दवाओं और नियमित फॉलो अप के साथ ठीक हो रहे हैं। डॉ. झा ने कहा, हर सफल ट्रांसप्लांट केवल एक चिकित्सीय उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह बलिदान, उम्मीद और नए जीवन की गहराई से जुड़ी मानवीय कहानी भी है।