नई दिल्ली- केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने घोषणा की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी ‘इंडिया मैरीटाइम वीक 2025’ में भाग लेंगे, जो 27 से 31 अक्टूबर तक मुंबई में आयोजित होगा। इस दौरान प्रधानमंत्री ग्लोबल मैरीटाइम CEO फोरम में मुख्य भाषण देंगे। गुवाहाटी में आयोजित ‘वॉटर वॉयेज नॉर्थईस्ट 2025’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री सोनोवाल ने मुंबई में होने वाले आयोजन भारत की समुद्री शक्ति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का ऐतिहासिक अवसर बताया, जिसमें 100 से अधिक देशों और एक लाख से अधिक हितधारकों की भागीदारी होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की उपस्थिति भारत की वैश्विक समुद्री नेतृत्व को और मजबूत करेगी, खासकर ऐसे समय में जब यह क्षेत्र अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है।श्री सोनोवाल ने कहा कि इंडिया मैरीटाइम वीक विचारों का नहीं, आत्मविश्वास का संगम होगा। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की समुद्री दृष्टि को नई दिशा मिली है और आज दुनिया भारत को एक भरोसेमंद साझेदार और उभरती समुद्री शक्ति के रूप में देखती है। इस मंच पर प्रधानमंत्री की उपस्थिति वैश्विक उद्योग जगत को भारत की विकास यात्रा में निवेश के लिए प्रेरित करेगी। मंत्री ने पूर्वोत्तर भारत के लिए एक बड़ी घोषणा करते हुए बताया कि ब्रह्मपुत्र नदी पर ₹250 करोड़ के निवेश से दो लक्ज़री क्रूज़ शिप्स तैयार की जा रही हैं, जो 2027 तक लॉन्च होंगी। ये जहाज़ कोलकाता के हुगली कोचीन शिपयार्ड में निर्माणाधीन हैं और ‘क्रूज़ भारत मिशन’ के तहत असम के नदी पर्यटन को नया आयाम देंगे। श्री सोनोवाल ने कहा कि 2014 से भारत के मैरीटाइम इकोसिस्टम में व्यापक बदलाव हुए हैं। सागरमाला, मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 और मैरीटाइम अमृत काल विजन 2047 जैसी प्रमुख योजनाओं ने बंदरगाहों, नौवहन और अंतर्देशीय जलमार्गों को आधुनिक बनाया है। उन्होंने कहा कि बंदरगाह क्षमता लगभग दोगुनी हो गई है, कार्गो हैंडलिंग 1,600 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच गई है और टर्नअराउंड समय घटकर 22 घंटे रह गया है। 2014 में जहां केवल 5 जलमार्ग थे, वहीं अब इनकी संख्या 30 हो गई है। अंतर्देशीय जलमार्गों पर कार्गो परिवहन 2013-14 के 18 मिलियन टन से बढ़कर पिछले वर्ष 145 मिलियन टन हो गया है। हरित सागर नीति और हरित नौका पहल के तहत स्वच्छ ईंधन, नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण अनुकूल जहाज़ों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने जलवाहक योजना का भी उल्लेख किया, जो दिसंबर 2024 में शुरू हुई थी और 300 किमी से अधिक दूरी पर कार्गो परिवहन को 35% तक परिचालन व्यय की प्रतिपूर्ति के साथ प्रोत्साहित करती है। उन्होंने कहा कि जलवाहक योजना और निर्धारित दिन की नौकायन व्यवस्था से उद्योग को पूर्वानुमेयता, किफायती विकल्प और स्थायित्व मिल रहा है। पूर्वोत्तर भारत को विकास के केंद्र में रखते हुए पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री ने बताया कि क्षेत्र में ₹1,000 करोड़ से अधिक का निवेश किया गया है, जिसमें ₹300 करोड़ की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और शेष शीघ्र पूरी होने वाली हैं। पांडु में ₹239 करोड़ की लागत से क्षेत्र की पहली शिप रिपेयर सुविधा 2026 तक तैयार होगी। सितंबर 2025 तक ₹180 करोड़ की लागत से NH-27 को पांडु पोर्ट से जोड़ने वाली डेडीकेटेड अप्रोच रोड भी बनकर तैयार हो जाएगी। गूइजान, नेमाटी, बिश्वनाथ घाट और सिलघाट में ₹299 करोड़ की लागत से नए पर्यटक जेटी बनाए जा रहे हैं। डिब्रूगढ़ में ₹188 करोड़ की लागत से एक क्षेत्रीय उत्कृष्टता केंद्र विकसित किया जा रहा है, जो 5,000 समुद्री प्रोफेशनल्स को प्रशिक्षण देगा।

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