नई दिल्ली- हाईकोर्ट ने बोरीवली-ठाणे ट्विन टनल परियोजना में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एम ई आई एल) द्वारा दी गई बैंक गारंटी की जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया।मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा, “पूर्व में किए गए विश्लेषण के आधार पर, यह जनहित याचिका खारिज की जाती है।”मुंबई हाईकोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कोई ठोस आधार नहीं है। साथ ही, कोर्ट ने पीआईएल के दुरुपयोग पर भी चिंता जताई और इसे अविश्वसनीय करार दिया।हैदराबाद के पत्रकार रवि प्रकाश द्वारा दायर इस याचिका में एम ई आई एल की बैंक गारंटी पर सवाल उठाया गया था। अदालत ने 5 मार्च को सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और अब इसे खारिज कर दिया।सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की नीयत और विश्वसनीयता पर गंभीर आपत्तियां जताई गईं। एमएमआरडीए की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि याचिकाकर्ता का इस मामले में कोई कानूनी अधिकार नहीं था। उन्होंने बताया कि एम ई आई एल द्वारा दी गई बैंक गारंटी भारतीय स्टेट बैंक और महाराष्ट्र स्टेट बैंक द्वारा प्रमाणित थी, लेकिन याचिकाकर्ता ने इस तथ्य को अदालत से छिपाया।पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और वरिष्ठ अधिवक्ता डारियस खंबाटा ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने अदालत को गुमराह किया है और न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट किए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह याचिका जनहित में नहीं, बल्कि व्यक्तिगत प्रतिशोध के कारण दायर की गई थी। इसके अलावा, उन्होंने पीआईएल के दुरुपयोग पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने स्वीकार किया कि उनके मुवक्किल ने सोशल मीडिया पर कुछ “अति-उत्साह” में पोस्ट किए थे, जिन्हें बाद में हटा दिया गया। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अगर अदालत को लगता है कि याचिकाकर्ता का इस मामले से कोई संबंध नहीं है, तो वह एक न्याय मित्र नियुक्त कर मामले की निष्पक्ष जांच कर सकती है