फरीदाबाद – इंडीयन स्ट्रोक एसोसिएशन ने ‘मिशन ब्रेन अटैक’ लॉन्च किया है। भारत में स्ट्रोक के बारे में लोगों में जागरूकता निर्माण करना इसका मुख्य उद्देश हैं। ‘ईच वन टीच वन’ नामक अभियान, पूरे भारत में स्ट्रोक की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि को संबोधित करता है और देश भर में स्ट्रोक की देखभाल को बढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण और संसाधनों की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। स्ट्रोक से पिडीत मरीजों को जल्दी उपचार मिलकर वह ठीक हो जाए इसलिए मॅटर स्ट्रोक केयर शुरू किया गया हैं। आईएसए ने लोगों और चिकित्सकों दोनों के बीच स्ट्रोक के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपना फरीदाबाद चैप्टर स्थापित किया है। इससे मरीजों को जल्दी इलाज हो सकता हैं।भारत में स्ट्रोक मरीजों की संख्या बढती जा रही हैं। स्ट्रोक के कारण कई मरीजों में विकलांगता और मृत्यू होने की संभावना जादा होती हैं। इसलिए स्ट्रोक के बारे में जागरूकता निर्माण करना काफी जरूरी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए इंडीयन स्ट्रोक एसोसिएशन ने ‘मिशन ब्रेन अटैक’ लॉन्च किया हैं। इस दौरान, मीडिया को इंडीयन स्ट्रोक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. निर्मल सूर्या, आईएसए के सचिव डॉ. अरविंद शर्मा, स्ट्रोक एकेडमी फरीदाबाद के आयोजन सचिव डॉ. कुनाल बहारानी, और आईएसए के कोषाध्यक्ष डॉ. सलील उप्पल ने संबोधित किया। स्ट्रोक का झटका आने के बारे मरीज पर इलाज करने के लिए गोल्डन अवर ४ घंटे और ३० मिनट का होता हैं। जिसमें थक्के को घोलने के लिए IV थ्रोम्बोलिसिस का उपयोग करके किसी की जान बचाई जा सकती है। गोल्डन अवर में मरीज का इलाज करने से पक्षाघात, रक्त के थक्के या डीप वेन थ्रोम्बोसिस निगलने में परेशानी मस्तिष्क की सूजन जैसी जटील समस्या पैदा होने के बचाया जा सकता हैं। ‘मिशन ब्रेन अटैक’ पहल चिकित्सकों और मेडिकल व्यवसायियों को कार्यशालाओं, वेबिनारों के आयोजन, वास्तविक समय के केस अध्ययनों का उपयोग करके व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने और स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानने, प्रभावी उपचार प्रोटोकॉल को अपनाने और मरीजों के लिए शीर्ष स्तर की देखभाल प्रदान करने के मामले में अत्याधुनिक ऑनलाइन संसाधनों तक पहुंच प्रदान करने में मदद करती है। इंडीयन स्ट्रोक एसोसिएशन के अध्यक्ष और कंसल्टिंग न्यूरोफिजिशियन डॉ. निर्मल सूर्या ने कहॉं की, समय रहते स्ट्रोक का निदान और इलाज हुआ तो मरीज जल्दी ठीक हो सकता हैं। स्ट्रोक के लिए भारत में अत्यधिक कुशल स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों का एक नेटवर्क बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जो मस्तिष्क के दौरे के होने पर तेज़ी से उसका इलाज कर सके। इस पहल के तहत अग्रणी विशेषज्ञों की विशेषता वाले नियमित वेबिनार आयोजित किए जाएँगे, जिससे नवीनतम ज्ञान और तकनीकों का व्यापक प्रसार हो सकेगा। यह पहल का उद्देश स्ट्रोक से पिडीत मरीजों को अत्याधुनिक वैद्यकीय सेवा तुरंत उपलब्ध कराना हैं। डॉ.निर्मल सूर्या ने कहा, “स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क के किसी क्षेत्र में रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है और मस्तिष्क को नुकसान होता है। उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, मोटापा, धूम्रपान, पारिवारिक इतिहास, शराब, गतिहीन जीवन शैली, आयु और उच्च कोलेस्ट्रॉल यह स्ट्रोक का झटका आने का कारण हैं। समय रहते स्ट्रोक का निदान हुआ तो इलाज करना आसान होता हैं। डॉ. अरविंद शर्मा, इंडीयन स्ट्रोक एसोसिएशन के सचिव, ने कहा, भारत में हर एक मिनिट मे तीन व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हो रहे है। लेकिन देशभर में इन मरीजों का महत्वपूर्ण ‘गोल्डन विंडो’ के दौरान इलाज करने के लिए केवल 4,000 से 5,000 न्यूरोलॉजिस्ट ही उपलब्ध हैं। इस समस्या को हल करने के लिए, ISA ने डॉक्टरों और आम जनता को रोकथाम के उपायों और इस महत्वपूर्ण समय में उचित कदम उठाने के बारे में शिक्षित करने के लिए पहल शुरू की है।जीवनशैली में बदलाव, नींद की कमी और नियमित स्वास्थ्य जांच की उपेक्षा स्ट्रोक की बढ़ती घटनाओं के प्रमुख कारण हैं। जहां पहले स्ट्रोक ज्यादातर 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखा जाता था, वहीं अब 30 से 40 वर्ष के लोगों में इसके मामलों में चिंताजनक वृद्धि हो रही है। पहले, इस आयु वर्ग में केवल 5% स्ट्रोक होते थे, लेकिन अब यह बढ़कर 10-15% हो गए हैं। चिंताजनक बात यह है कि अब 20 से 30 वर्ष की उम्र के युवा भी स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं।