मुंबई- शिवसेना सांसद संजय राउत ने महबूबा मुफ्ती के उस बयान के एक दिन बाद भाजपा पर निशाना साधा जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि कश्मीर में तब तक शांति नहीं बहाल होगी जब तक कि केंद्र सरकार पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के लोगों से बात नहीं करती। राउत ने कहा कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख इस तरह की टिप्पणी कर सकती हैं, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने उनकी पार्टी के साथ पूववर्ती जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाकर उनके जैसे लोगों को मजबूत करने का काम किया। राउत ने पत्रकारों से कहा कि मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी किसी समय भाजपा की मित्र थी। उन्होंने दावा किया कि पीडीपी शुरू से ही पाकिस्तान समर्थक रही है और आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखती है। पीडीपी और भाजपा वर्ष 2015 में जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए एक साथ आए थे, लेकिन यह गठबंधन जून 2018 में टूट गया। मुफ्ती ने केंद्र की भाजपा नीत सरकार से पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ बातचीत का अपना राग दोहराया। राउत ने कहा कि मुफ्ती ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु का समर्थन किया था, फिर भी भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में उनकी पार्टी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी। राउत ने आरोप लगाते हुए कहा, अब वही महबूबा मुफ्ती कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए पाकिस्तान से बातचीत चाहती हैं। यह भाजपा का पाप है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने ऐसे लोगों के साथ सत्ता साझा कर उन्हें ताकत दी है, इसलिए महबूबा मुफ्ती जो कह रही हैं उसके लिए भाजपा जिम्मेदार है। राज्यसभा सदस्य ने आगे कहा कि इस मुद्दे पर भाजपा का जो भी विचार हो, लेकिन शिवसेना पीडीपी की विचारधारा का हमेशा विरोध करती रही है और करती रहेगी। महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल की हालिया टिप्पणी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केवल दो घंटे सोते हैं और हर रोज 22 घंटे काम करते हैं, इस पर राउत ने दावा किया कि यह चापलूसी की पराकाष्ठा है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने पाटिल की टिप्पणियों को सुनकर अपनी दो घंटे की नींद भी खो दी है। राउत ने व्यंग्य किया कि पाटिल जैसे भाजपा नेताओं के अनुसार केवल मोदी ही कड़ी मेहनत करते हैं और दुनिया में कोई अन्य नेता नहीं है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के वोलोदिमीर जेलेंस्की शामिल हैं। शिवसेना नेता ने कहा, चाटुकार तो पहले भी थे। यहां तक कि महात्मा गांधी के भी चाटुकार थे। सरदार पटेल के भी चाटुकार थे। लेकिन हमने पहले कभी ऐसे चाटुकारों को नहीं देखा8230 यह चाटुकारिता की पराकाष्ठा है। राउत ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में अपने साप्ताहिक कॉलम रोखठोक में इसी तरह की टिप्पणी की।