नई दिल्ली- अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर दिल्ली स्टेट आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन एंड हेल्पर यूनियन ने मंगलवार को सिविल लाइंस में चेतावनी महारैली निकालकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। हजारों की संख्या में मौजूद आंगनबाड़ी कर्मचारियों की यह महारैली दिल्ली सरकार में समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौमत के निवास से लेकर मुख्यमंत्री आवास, दिल्ली विधानसभा से होते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय तक गई। इस दौरान आंगनबाड़ी कर्मचारियों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बता दें कि यह कर्मचारी 31 जनवरी से अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के पास हड़ताल पर बैठी हुई हैं। हड़ताल में शामिल होने वाली महिलाओं की संख्या भी हजारों है। आंगनबाड़ी हेल्पर और वर्कर मानदेय बढ़ाए जाने समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं। आंगनबाड़ी केंद्र में हेल्पर का काम करनेवाली रोहिणी से आई अनीता ने बताया कि हर महीने 4800 रुपए मानदेय के रूप में मिलते हैं। इतने कम पैसों में गुजारा कर पाना काफी मुश्किल है। अनीता के मुताबिक किराए पर रहने की वजह से मानदेय राशि का ज्यादातर हिस्सा खर्च हो जाता है। कई वर्षों से मानदेय की राशि में इजाफा भी नहीं हुआ है। वहीं, हर महीने 9600 रुपए पानेवाली आंगनबाड़ी वर्कर की भी समान पीड़ा है। वर्कर की शिकायत है कि कम राशि में किसी भी महिला का गुजारा कर पाना काफी मुश्किल है। महिलाएं पूरी मेहनत और लगन के साथ आंगनबाड़ी केंद्रों में काम कर रही हैं। कोरोना काल में भी घर घर जाकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को भोजन वितरित किया। यहां तक कि कोरोना के चलते बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई भी कराई गई। वर्करों ने ऑनलाइन पढ़ाई का काम अपने फोन से किया। लेकिन पिछले कई वर्षों से ना तो मानदेय बढ़ाया गया है और न ही पक्का किया गया है। उन्होंने बताया कि कई बार तो हेल्पर और वर्करों का वेतन भी समय पर नहीं आता है। 2 से 3 महीने का इंतजार करने के बाद भुगतान होता है। दिल्ली स्टेट आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन एंड हेल्पर यूनियन की अध्यक्ष शिवानी कौल ने बताया कि सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में 22 हजार से ज्यादा वर्कर और हेल्पर काम कर रही हैं। उनको मिलनेवाला मानदेय न्यूनतम रोजगार भत्ता के अंतर्गत भी नहीं है। दिहाड़ी मजदूरों को भी इससे ज्यादा मानदेय मिलता है। लेकिन आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों, गर्भवती महिलाओं की देखरेख, पोषण, स्वास्थ्य के लिए काम करनेवालों को काफी कम मानदेय दिया जाता है। उन्होंने बताया कि साल 2017 में हड़ताल के बाद वर्कर और हेल्पर का मानदेय थोड़ा बढ़ा था। वर्कर का मानदेय 5,000 और हेल्पर का ढाई हजार रुपए बढ़ाया गया। अब मानदेय में इजाफे के बाद हेल्पर को 4800 और वर्कर को 9600 रुपए मिलते हैं। उन्होंने बताया कि हमारी मांग है कि वर्कर का मानदेय कम से कम 25 हजार और हेल्पर का 20,000 होना चाहिए। महिलाओं को बढ़ती महंगाई और कोरोना के चलते आई आर्थिक समस्याओं से कुछ निजात दिलाया जाए। यूनियन की अध्यक्ष ने कहा कि 2018, अक्टूबर में केंद्र सरकार की ओर से भी आंगनबाड़ी वर्कर और हेल्पर के मानदेय में 1500 से 750 रुपए की बढ़ोतरी किए जाने की बात कही गई थी, लेकिन करीब 4 साल बीत जाने के बाद भी लागू नहीं किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सभी आंगनबाड़ी वर्कर, हेल्पर को भी दिल्ली सरकार कर्मचारी का दर्जा दे। दिल्ली सरकार के सभी कर्मचारियों की तरह मिलने वाली सुविधाएं भी आंगनबाड़ी वर्कर और हेल्पर को मिले। छुट्टियां, मैटरनिटी लीव, ईएसआई, पीएफ, पेंशन का लाभ मिलना चाहिए।