नई दिल्ली – साहित्यकार राजीव आचार्य के अनुसार प्रबंधन के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण गुण लीडरशिप है। एक अच्छा नेतृत्वकर्ता न केवल अपने कार्यों से, बल्कि अपने चरित्र, दृष्टिकोण और निर्णयों से भी दूसरों को प्रेरित करता है। यह गुण केवल आधुनिक प्रबंधन सिद्धांतों में ही नहीं, बल्कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों और धार्मिक कथाओं में भी पाया जाता है। आज के परिप्रेक्ष्य में लीडरशिप का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण कई सफल मैनेजमेंट केस में देखा जा सकता है। जहां नेतृत्व, टीमवर्क और रणनीतिक दृष्टिकोण ने कंपनियों को नए मुकाम तक पहुंचाया है।राजीव आचार्य कहते हैं कि भारतीय संस्कृति में भगवान श्रीराम का जीवन इस तथ्य का जीता जागता उदाहरण है, जिनकी नेतृत्व क्षमता ने न केवल उन्हें एक आदर्श राजा बनाया, बल्कि उनके प्रबंधन कौशल ने उन्हें एक महान योद्धा और संतुलित व्यक्तित्व भी सिद्ध किया। भगवान श्रीराम का जीवन न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि प्रबंधन और नेतृत्व के दृष्टिकोण से भी अत्यंत प्रेरणादायक है। उनके नेतृत्व का हर पहलू – कर्तव्य, न्याय, धैर्य, दृढ़ता, संवाद, प्रेरणा, और सामूहिक निर्णय – यह सभी गुण आज के प्रबंधकों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। श्रीराम ने यह सिद्ध किया कि एक सच्चा नेता वही होता है, जो न केवल अपनी टीम का नेतृत्व करता है, बल्कि उसे दिशा और प्रेरणा भी प्रदान करता है। उनका जीवन यह सिखाता है कि लीडरशिप केवल निर्णय लेने की क्षमता नहीं, बल्कि सही दिशा में निर्णय लेने, दूसरों को प्रेरित करने और उनके अधिकारों का सम्मान करने की कला है। राजीव आचार्य कहते हैं कि अपने सहयोगियों में लीडरशिप का गुण उत्पन्न करना मैनेजमेंट का सबसे महत्वपूर्ण गुण है।भगवान श्रीराम ने पहले हनुमानजी फिर अंगद में यह गुण उत्पन्न किया ।यही कारण था कि रावण को परास्त करने में सभी ने भूमिका निभाई ।

दुनियाभर से मिलते हैं मजबूत लीडर​​शिप के उदाहरण
1. रतन टाटा का नेतृत्व टाटा समूह के लिए एक आदर्श उदाहरण है। उनके समय में टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए, जैसे कि Corus Steel और Jaguar Land Rover, जो समूह के वैश्विक विस्तार में मददगार साबित हुए। वैश्विक स्तर पर टाटा समूह की उपस्थिति और सामाजिक जिम्मेदारी में उनका योगदान इसे एक श्रेष्ठ लीडरशिप का उदाहरण बनाता है।
2. एप्पल कंपनी के सीईओ स्टीव जॉब्स ने एप्पल को न केवल तकनीकी दृष्टि से बल्कि एक मजबूत ब्रांड के रूप में स्थापित किया। उन्होंने अपने दृष्टिकोण, क्रिएटिविटी और प्रोडक्ट डिजाइन पर विशेष ध्यान दिया, जो पूरी दुनिया में एप्पल के उत्पादों को एक अलग पहचान दिलाता है। जॉब्स का स्पष्ट दृष्टिकोण और प्रोडक्ट्स के प्रति उनका जुनून, टीम को प्रेरित करता था। उन्होंने सशक्त टीम बनाई, जो एप्पल के उत्पादों को पूरी दुनिया में पहचान दिलाने में सक्षम हुई।
3. मुकेश अंबानी ने रिलायंस को एक तेल और गैस आधारित कंपनी से टेलीकॉम और डिजिटल सेक्टर में एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया। उनकी दूरदर्शिता ने रिलायंस जियो को लॉन्च करने का फैसला लिया, जो भारतीय टेलीकॉम बाजार में एक क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया। अंबानी ने इस क्षेत्र में नए और आधुनिक दृष्टिकोण को अपनाया, जिससे कंपनी ने तेजी से बढ़त बनाई। मुकेश अंबानी की नेतृत्व शैली में नवाचार का महत्वपूर्ण स्थान है। जैसे कि जियो के साथ डेटा और इंटरनेट की सस्ती पहुंच सुनिश्चित करना।
4. इन्फोसिस के फाउंडर नरायण मूर्ति ने इन्फोसिस को एक छोटी सी आईटी कंपनी से वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख आईटी सेवा प्रदाता में बदल दिया। उनका नेतृत्व न केवल तकनीकी विकास में नहीं था। उनका दृष्टिकोण था कि लीडरशिप में न केवल व्यावसायिक सफलता, बल्कि कर्मचारी कल्याण और समाजिक जिम्मेदारी भी महत्वपूर्ण है।

किसी भी परिस्थिति में धैर्य ना खाेएं

राजीव आचार्य कहते हैं कि रामायण के किष्किंधा कांड में एक श्लोक में वर्णन किया गया है धैर्यं सर्वत्र य: प्रकटयति, साधु गुणानां य: प्रभाव:। धीरं धर्मात्मजं रामं सर्वे प्रेक्षन्ति शान्तिम्। श्रीराम ने अपने जीवन में कई कठिन परिस्थितियों का सामना किया, लेकिन हमेशा साहस और धैर्य के साथ निर्णय लिए। उन्होंने रावण जैसे शक्तिशाली शत्रु का सामना किया, लेकिन बिना घबराए और धैर्य के साथ संघर्ष किया। उनका साहस और धैर्य ही उनकी शक्ति का स्रोत था। श्रीराम का जीवन यह बताता है कि एक अच्छा नेतृत्वकर्ता हमेशा अपने उद्देश्य के प्रति दृढ़ रहता है, चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों। जब भगवान राम को लंका युद्ध में विजय प्राप्त करनी थी तो उन्होंने न केवल अपनी सेना का नेतृत्व किया, बल्कि उन्होंने अपनी सेना के हौंसले को भी बनाए रखा।राजीव आचार्य के अनुसार भगवान श्रीराम का जीवन से बेहतर उदाहरण मैनेजमेंट के लिए दूसरा नही हो सकता । एक अच्छा मैनेजर बनने के लिए भगवान श्रीराम का अनुसरण करना चाहिए।                           राजीव आचार्य

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