लखनऊ- भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के पांच जून को प्रस्तावित अयोध्या दौरे का विरोध किया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, जब तक वह उत्तर भारतीयों से सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांग लेते तब तक उन्हें अयोध्या की सीमा में घुसने नहीं देंगे। कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद और राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से एक ब्रजभूषण शरण सिंह ने ट्वीट किया उत्तर भारतीयों को अपमानित करने वाले राज ठाकरे को अयोध्या की सीमा में घुसने नहीं दूंगा। इसी ट्वीट में आगे उन्होंने कहा, अयोध्या आने से पहले सभी उत्तर भारतीयों से हाथ जोडकर माफी मांगे राज ठाकरे। सांसद ने अपने सिलसिलेवार ट्वीट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अनुरोध किया,जब तक राज ठाकरे सार्वजनिक रूप से उत्तर भारतीयों से माफी नहीं मांग लेते, मेरा आग्रह है तब तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को राज ठाकरे से नहीं मिलना चाहिए। राम मंदिर आंदोलन का जिक्र करते हुए सांसद ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन से लेकर मंदिर निर्माण तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और आमजन की ही भूमिका रही है, ठाकरे परिवार का इससे कोई लेना देना नहीं। ब्रजभूषण शरण सिंह छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा को ध्वस्त करने के मामले में भी आरोपी थे। उल्लेखनीय है कि पिछले 17 अप्रैल को ठाकरे ने पुणे में कहा था कि वह भगवान राम के दर्शन करने के लिए पांच जून को अयोध्या जाएंगे। ठाकरे ने वहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, पांच जून को मैं मनसे के अन्य कार्यकर्ताओं के साथ दर्शन के लिए अयोध्या जाऊंगा। मैं अन्य लोगों से भी अयोध्या आने की अपील करता हूं। अयोध्या जाने के मकसद के बारे में पूछे जाने पर ठाकरे ने कहा कि वह लंबे वक्त से कहीं बाहर नहीं गए हैं। हालांकि, संवाददाता सम्मेलन के बाद अयोध्या दौरे के बारे में बोलते हुए ठाकरे ने कहा, इसके लिए कितने कार सेवकों ने अपनी जान गंवाई। उच्चतम न्यायालय और केंद्र सरकार की वजह से वहां राम मंदिर की स्थापना हो रही है। इसलिए मैं वहां निर्माण के शुरुआती चरण में जाना चाहता हूं। बाद में, एक बार मंदिर तैयार हो जाने के बाद हर कोई इसे फिर से देखने जाएगा। गौरतलब है कि मनसे प्रमुख को मुंबई में रहने वाले उत्तर भारतीयों का विरोधी माना जाता है। राज ठाकरे ने उत्तर भारतीयों की आलोचना करते हुए कहा था कि वे उत्तर भारतीय मराठा संस्कृति को नष्ट करने पर तुले हैं।