इस भागती-दौड़ती ज़िंदगी में कौन सा व्यक्ति ऐसा है जिसे किसी बात की चिंता नहीं है। चिंता होना एक सामान्य बात है, परंतु यही चिंता या तनाव जब आपके दिमाग पर पूरा दिन हावी रहे तो यह एक गंभीर मेंटल हेल्थ कंडीशन है। दुखद ये है कि कई लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं, कुछ जानकारी के अभाव में, तो कुछ इससे जुड़े स्टिग्मा के कारण। वंद्रेवाला फाउंडेशन की फाउन्डर, प्रिया वंद्रेवाला हीरानंदानी जो भारत में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में पूरी तत्परता से जुटी हैं, का कहना है कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए एक टार्गेटेड एप्रोच अपनाने की जरूरत है, जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं में सेवाएं उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान देना होगा। प्रिया का मानसिक स्वास्थ्य की गंभीरता से सामना तब हुआ जब 2006 में उनके अंकल ने आत्महत्या कर ली। इस घटना से उनके अंदर भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को समझने और इसके लिए एक अभियान शुरू करने की इच्छा जागृत हुई। उन्होंने इस विषय पर गहरा शोध किया और आनेवाले समय में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भारत के लिए चुनौतियाँ पेश कर सकता है। परिणामस्वरूप, 2008 में प्रिया ने पति साइरस वंद्रेवाला के साथ मिलाकर “वंद्रेवाला फाउंडेशन” की स्थापना की और भारत में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को ख़त्म करने का लक्ष्य बनाया। दुर्भाग्यवश, भारत में ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2021 में भारत में आत्महत्या के 164,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए। ये आंकड़े प्रिया के अभियान की महत्ता को दर्शाते हैं।प्रिया अपने फाउंडेशन के माध्यम से भारत में एक मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन संचालित कर रहीं हैं, जिसके माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे व्यक्ति को मुफ्त मनोवैज्ञानिक परामर्श और आवश्यक सहायता प्रदान की जाती है। यह सेवा 24/7 उपलब्ध है। पिछले 14 साल में प्रिया ने अपनी इस पहल के द्वारा लगभग 1 मिलियन से अधिक लोगों की सहायता की। फाउंडेशन बंगाली, तमिल, कन्नड़, तेलुगु, मलयालम, पंजाबी और उर्दू सहित कुल 11 प्रमुख भारतीय भाषाओं में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है।मानसिक स्वास्थ्य सहायता की उपलब्धता को सुगम बनाने के लिए फाउंडेशन ने 2021 में व्हाट्सप्प सेवाओं की शुरुआत की। आज 50% से अधिक लोग इसके जरिये ही सहायता के लिए संपर्क कर रहे हैं।इसके अतिरिक्त, प्रिया के निर्देशन में फाउंडेशन ने विभिन्न संगठनों और सरकारी एजेंसियों के साथ भी सहयोग किया। फाउंडेशन ने गुजरात पुलिस के सहयोग से सूरत में एक क्राइसिस इंटरवेंशन हेल्पलाइन हब की स्थापना की। हेल्पलाइन हब ने न केवल मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन का कार्य किया बल्कि यह गुजरात के कई विश्वविद्यालयों के लिए आधिकारिक हेल्पलाइन भी बन गया। फाउंडेशन ने स्थानीय परामर्शदाताओं को प्रशिक्षित करने के लिए SHOUT जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ भी साझेदारी की है। साथ ही, फाउंडेशन ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े स्टिग्मा को ख़त्म करने के लिए जन जागरूकता अभियान पर जोर दिया।प्रिया सेवाओं को सालाना 300,000 परामर्श से बढ़ाकर 10 लाख तक ले जाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर काम कर रहीं हैं। उनका लक्ष्य भारत में मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए एक व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। बता दें कि प्रिया देश की जानी मानी महिला उद्यमी हैं, जिन्होंने ज़ेंटा ग्रुप की स्थापना की, जिसे बाद में एक्सेंचर ने खरीद लिया। वह रियल एस्टेट कंपनी हिरको की संस्थापिक और सीईओ भी रही चुकी हैं। प्रिया जाने माने चिकित्सक पद्मभूषण डॉ. लखुमल हीरानंद हीरानंदानी की पौत्री हैं।समाज सेवा के क्षेत्र में प्रिया वंद्रेवाला हीरानंदानी और वंद्रेवाला फाउंडेशन के कार्य वास्तव में प्रेरणादायक हैं। मानसिक स्वास्थ्य सहायता के क्षेत्र में उन्होंने जो प्रभाव डाला है वह उल्लेखनीय है। प्रिया का दृढ़ समर्पण इस बात की गारंटी देता है कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का बेहतर तरह से इलाज हो पाएगा।