नई दिल्ली – देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित किया गया था, जो चुनाव प्रचार के महत्वपूर्ण चरणों में से एक साबित हुआ है।इस कार्यक्रम में ओबीसी, एससी और एसटी समुदायों के मुद्दों पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं ने कई पैनलों की चर्चाओं में भाग भी लिया। जिसके साथ-साथ राहुल गांधी का संबोधन चला। नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने इस कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा था कि यह एक गैर-राजनीतिक आयोजन है, जिसे नागरिक समाज संगठन और कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित किया गया था।विदर्भ, जहां 34 सीटों पर सीधे कांग्रेस-बीजेपी का मुकाबला है, वहां ओबीसी वोटों के लिए कड़ी टक्कर देखी जा रही है। ऐसे में दोनों पार्टियों के नेताओं द्वारा ओबीसी समुदाय के लिए बड़े पैमाने पर आउटरीच कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। (उदाहरण के लिए, महायुति सरकार द्वारा 7 नई ओबीसी जातियों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करना और क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाना है)। इसके साथ ही, संविधान के सम्मान पर जोर दिया जा रहा है, जैसा कि बीजेपी के ‘घर-घर संविधान’ नामक हाई-डेसिबल मीडिया अभियान में देखा जा सकता है।इस बीच कांग्रेस के दो वरिष्ठतम नेता और ओबीसी समुदाय के प्रभावशाली चेहरे – नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार और महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, दोनों ही इस क्षेत्र से हैं और समुदायों के साथ कांग्रेस के दृष्टिकोण को सक्रिय रूप से साझा करने में जुटे हैं। नाना पटोले ने विशेष रूप से ओबीसी युवाओं के साथ पिछले कुछ हफ्तों में कई बैठकें की हैं, जबकि वडेट्टीवार, जो ओबीसी कल्याण मंत्री भी रह चुके हैं और ओबीसी समुदाय में अपने किए गए कार्यों के लिए लोकप्रिय हैं उन्होंने ही संविधान सम्मेलन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसे ओबीसी युवा अधिकार मंच द्वारा आयोजित किया जा रहा है।राहुल गांधी की उपस्थिति ने इन आउटरीच के प्रयासों को और मजबूत किया है और ओबीसी समुदाय के बीच पार्टी की अपील को बढ़ाया है। जाति जनगणना पर उनके विचार और संविधान की भावना को बनाए रखने के उनके अभियान ने इस क्षेत्र के मतदाताओं के बीच गहरी छाप छोड़ी है और पार्टी की प्रभावशाली प्रदर्शन में योगदान दिया था।गौरतलब है कि विजय वडेट्टीवार, जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान भी विदर्भ क्षेत्र में व्यापक प्रचार किया था इस दौरान पार्टी के प्रदर्शन का श्रेय भी उन्हें दिया गया था। इस बार भी उन्होंने इन्हीं मुद्दों के पक्ष में जोरदार तर्क प्रस्तुत किए हैं। आयोजन से पहले भी विजय वडेट्टीवार ने 50% आरक्षण बाधा सीमा को बढ़ाने के लिए जोरदार प्रचार किया था। उन्होंने राहुल गांधी के आरक्षण के विचारों पर अपनी सहमति को जताते हुएजाति जनगणना का मुद्दा भी उठाया और इसे समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक बताया।राज्य में 20 नवंबर को मतदान है और हाल के आंदोलनों को ध्यान में रखते हुए, चाहे वह मराठों की आरक्षण की मांग हो या ओबीसी, एससी और एसटी दर्जे की मांग हो, वडेट्टीवार के बयान और इस मुद्दे पर कांग्रेस की स्थिति का जमीनी प्रभाव काफी मजबूत स्थिति में नजर आ रहा है।